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आषाढ़ माह की अष्टमी और भगवान विष्णु का दिन, विशेष पूजा से मिलेगा लाभ

आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है, क्योंकि यह दिन उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है।

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Mukesh Pandit
Bhagwat Vishnu
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आषाढ़ माह हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का चौथा महीना है, जो आमतौर पर जून-जुलाई के महीनों में पड़ता है। यह माह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ माह की अष्टमी तिथि विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित होती है, क्योंकि यह दिन उनकी कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। आषाढ़ माह की अष्टमी भगवान विष्णु की भक्ति और पूजा के लिए एक विशेष अवसर है।

इस दिन की गई पूजा और व्रत से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष के मार्ग को भी प्रशस्त करता है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्तों का जीवन सुख, शांति और समृद्धि से परिपूर्ण होता है। इस दिन सात्विक जीवनशैली अपनाकर, दान-पुण्य और मंत्र जाप के साथ पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में लाभ प्राप्त होता है। आषाढ़ माह की अष्टमी को भगवान विष्णु की भक्ति में लीन होकर अपने जीवन को सार्थक बनाएं।

आषाढ़ माह की अष्टमी का महत्व

हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है, और आषाढ़ माह की अष्टमी भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति के लिए विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। भगवान विष्णु को विश्व का पालनकर्ता माना जाता है, और उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। आषाढ़ माह में चातुर्मास की शुरुआत होती है, जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दौरान उनकी पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, जैसे श्री हरि, नारायण, या श्रीकृष्ण, की पूजा की जाती है। यह तिथि विशेष रूप से शुभ मानी जाती है, क्योंकि इस दिन की गई पूजा से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

भगवान विष्णु की पूजा का महत्व

भगवान विष्णु की पूजा से भक्तों को न केवल भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं, बल्कि यह आध्यात्मिक शांति और मोक्ष के मार्ग को भी प्रशस्त करती है। आषाढ़ माह की अष्टमी को उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से दुख, दरिद्रता और बाधाएं दूर होती हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में स्थिरता, धन, स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख की कामना करते हैं। इसके अलावा, इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है।

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विशेष पूजा की विधि

प्रातःकाल स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। उनके समक्ष दीपक, अगरबत्ती और फूल अर्पित करें। तुलसी के पत्ते और पीले फूल विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इस दिन व्रत रखने का संकल्प लें। व्रत के दौरान सात्विक भोजन, जैसे फल, दूध और खिचड़ी, ग्रहण करें।

मंत्र जाप और पूजा: भगवान विष्णु के मंत्र, जैसे "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ नमो नारायणाय", का 108 बार जाप करें। विष्णु सहस्रनाम या श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना भी शुभ होता है। भगवान को खीर, हलवा या मिश्री का भोग लगाएं। इसके बाद विष्णु आरती करें और प्रसाद वितरित करें। पूजा के बाद गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। तुलसी के पौधे का दान करना भी शुभ माना जाता है।

आषाढ़ माह की अष्टमी को भगवान विष्णु की पूजा करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:

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सुख-समृद्धि की प्राप्ति: भगवान विष्णु की कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं। उनकी पूजा से व्यवसाय और नौकरी में उन्नति मिलती है।
पारिवारिक शांति: इस दिन की गई पूजा से परिवार में सुख, शांति और समरसता बनी रहती है। दांपत्य जीवन में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
स्वास्थ्य लाभ: भगवान विष्णु की पूजा से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। यह तनाव, चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करने में मदद करता है।
पापों का नाश: इस दिन व्रत और पूजा करने से पिछले जन्मों के पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
मोक्ष की प्राप्ति: भगवान विष्णु की भक्ति मोक्ष के मार्ग को प्रशस्त करती है। यह भक्तों को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां और बुरी नजर से रक्षा होती है।

आषाढ़ माह की अष्टमी और चातुर्मास

आषाढ़ माह में चातुर्मास की शुरुआत होती है, जो भगवान विष्णु के योग निद्रा में प्रवेश करने का समय है। इस दौरान उनकी पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है। अष्टमी तिथि पर की गई पूजा चातुर्मास के पुण्य को और बढ़ा देती है। यह समय भक्ति, तप और आत्मचिंतन के लिए आदर्श माना जाता है।

भारत में प्रचलित परंपराएं

भारत के विभिन्न हिस्सों में आषाढ़ माह की अष्टमी को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में भक्त विष्णु मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं और तुलसी माला से जाप करते हैं। दक्षिण भारत में श्रीरंगनाथ स्वामी और तिरुपति बालाजी मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। बंगाल और उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ की पूजा इस दिन विशेष रूप से की जाती है।

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