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Ganga Saptami 2025: गंगा स्नान से समृद्धि, सुख, यश और मोक्ष की प्राप्ति, जानें पूजन विधि

गंगा सप्तमी, जिसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में गंगा सप्तमी 2 मई को पड़ रही है। 

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Mukesh Pandit
गंगा सप्तमी पूजन विधि
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गंगा सप्तमी, जिसे गंगा जयंती के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह पर्व हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में गंगा सप्तमी 2 मई को पड़ रही है, जो कि शनिवार का दिन है। यह दिन मां गंगा के स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में अवतरित होने की स्मृति में मनाया जाता है। गंगा नदी को हिंदू धर्म में मोक्षदायिनी और पापों का नाश करने वाली माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा, दान और ध्यान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे सुख, समृद्धि, यश और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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गंगा सप्तमी का महत्व

गंगा सप्तमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व असीम है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा का जन्म भगवान विष्णु के चरणों से हुआ था, और भगवान ब्रह्मा के कमंडल में संग्रहित होने के बाद, भगीरथ के तप से वे धरती पर अवतरित हुईं। गंगा का तीव्र वेग संभालने के लिए भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में धारण किया, और वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन गंगा शिव की जटाओं में समाईं। इसीलिए इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।

गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, जो पांच राज्यों से होकर बहती है और अंत में सागर में मिल जाती है। धार्मिक मान्यता है कि गंगा स्नान से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह नदी न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। गंगा सप्तमी के दिन स्नान, पूजा और दान करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कम होते हैं, और व्यक्ति को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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इस दिन का विशेष महत्व उन स्थानों पर है जहां गंगा और उनकी सहायक नदियां बहती हैं, जैसे प्रयाग, हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी। यह पर्व भक्तों को गंगा की पवित्रता में विश्वास को और गहरा करने का अवसर प्रदान करता है।

गंगा सप्तमी की पूजन विधि 

गंगा सप्तमी की पूजा विधि सरल और शास्त्रोक्त है। 

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प्रातः स्नान: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। यदि संभव हो, तो गंगा नदी में स्नान करें। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। स्नान के दौरान "ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः" मंत्र का जाप करें।
संकल्प: स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर बैठकर गंगा माता का ध्यान करते हुए संकल्प लें। संकल्प में अपने नाम, गोत्र और पूजा का उद्देश्य स्पष्ट करें।

पूजा सामग्री: पूजा के लिए मां गंगा की प्रतिमा या चित्र, तांबे या मिट्टी का कलश, गंगा जल, फूल, अक्षत, चंदन, काले तिल, गुड़, सत्तू, पान के पत्ते, फल, दस दीपक और मिठाई आदि तैयार करें।

गंगा पूजन: घर के मंदिर या पूजा स्थल पर गंगा माता की प्रतिमा स्थापित करें। कलश में गंगा जल भरें और उसमें फूल, तिल, दूध और गुड़ डालें। माता को फूल, अक्षत, चंदन और माला अर्पित करें। घी का दीपक जलाएं और गंगा सहस्रनाम स्तोत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।

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मंत्र जाप और आरती: पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:
ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः
गंगा गंगेति यो ब्रूयात् योजनानां शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति।
गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं। त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां।

पूजा के अंत में गंगा आरती करें और माता को घर में बनी मिठाई का भोग लगाएं।
दान-पुण्य: पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान दें। काले तिल, गुड़, सत्तू या अन्य सामग्री का दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। दान देते समय अभिमान न करें, क्योंकि इससे पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होती।

स्नान और ध्यान

गंगा सप्तमी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा गंगा स्नान और ध्यान है। स्नान के लिए शुभ मुहूर्त 2 मई 2025 को सुबह 10:58 से दोपहर 1:38 तक है। इस दौरान गंगा नदी में डुबकी लगाएं और "हर हर गंगे" का जाप करें। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो घर पर गंगा जल मिश्रित पानी से स्नान करें।
स्नान के बाद ध्यान के लिए शांत स्थान पर बैठें। गंगा माता का स्मरण करें और उनके पवित्र स्वरूप का चिंतन करें। गायत्री मंत्र या गंगा सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें। ध्यान के दौरान मन को शुद्ध रखें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

नियम और सावधानियां

गंगा की पवित्रता का सम्मान: गंगा नदी में कूड़ा, प्लास्टिक, साबुन या अन्य अशुद्ध वस्तुएं न डालें। इससे मां गंगा नाराज हो सकती हैं
शुद्धता: पूजा और स्नान के समय शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
दान का महत्व: दान केवल जरूरतमंद और सुयोग्य व्यक्तियों को दें।
नकारात्मकता से बचें: इस दिन क्रोध, ईर्ष्या या नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

गंगा सप्तमी का पर्व मां गंगा की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर है। इस दिन गंगा स्नान, पूजा, मंत्र जाप और दान करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन भी होता है। गंगा नदी को भारत की जीवनरेखा माना जाता है, और गंगा सप्तमी का पर्व हमें इस पवित्र नदी के प्रति श्रद्धा और संरक्षण की भावना को मजबूत करने का अवसर देता है। 2 मई 2025 को इस पर्व को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाएं और मां गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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