Darsh Amavasya रविवार को, पितृ पूजा और तर्पण से पाएं पितृ दोष से मुक्ति, जानें पूजा विधि और खास उपाय
हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, और फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को "दर्श अमावस्या" के नाम से जाना जाता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है।
नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क : हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, और फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को "दर्श अमावस्या" के नाम से जाना जाता है। यह दिन पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। माना जाता है कि इस दिन पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही यह दिन चंद्र देव की पूजा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। जिससे मानसिक शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।
दर्श अमावस्या का महत्व
पितृ पूजा और तर्पण: इस दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। पितृ तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
चंद्र देव की पूजा: चंद्रमा इस दिन दिखाई नहीं देता, जो मानसिक शांति और समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
ज्योतिषीय महत्व: यह दिन पितृ दोष, कालसर्प दोष और अन्य कुंडली दोषों को दूर करने के लिए शुभ माना जाता है।
आध्यात्मिक लाभ: मौन रहकर ध्यान और तप करने से आत्मशांति और वाक् सिद्धि प्राप्त होती है।
दर्श अमावस्या की पूजा विधि
प्रातः स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी (गंगा, यमुना) में स्नान करें। अगर यह संभव न हो, तो घर पर गंगाजल मिला पानी इस्तेमाल करें। स्नान के दौरान सूर्य देव को अर्घ्य दें और पितरों का स्मरण करें।
पूजा की तैयारी: स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। भगवान विष्णु, शिव, चंद्र देव या कुलदेवता की मूर्ति/चित्र स्थापित करें। पूजा सामग्री में दीप, धूप, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, तिल, कुशा, खीर, मिठाई, फल, और दूध रखें।
पितृ तर्पण और श्राद्ध: दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों के लिए तर्पण करें। जल, तिल, कुशा और आंवला का उपयोग करें। पितृ स्तोत्र का पाठ करें और पिंडदान करें।
मंत्र: भगवान विष्णु: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।
चंद्र देव: "ॐ सों सोमाय नमः" का जाप करें और दूध, चावल, श्वेत फूल अर्पित करें।
भगवान शिव: शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र, और दूध चढ़ाएं। "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
व्रत और मौन: इस दिन मौन व्रत रखने से आत्मशांति प्राप्त होती है। सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
दान-पुण्य: सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को दान दें। विशेष रूप से खीर का दान शुभ माना जाता है।
दर्श अमावस्या के उपाय
पितृ दोष निवारण: पीले वस्त्र पहनकर पितरों का ध्यान करें और तर्पण करें। कौओं, गायों, और कुत्तों को भोजन खिलाएं।
कालसर्प दोष निवारण: कुशा घास की अंगूठी पहनें और भगवान शिव की पूजा करें। काले तिल और काली उड़द का दान करें।
आर्थिक समृद्धि: गरीबों को गर्म कपड़े, कंबल, या घी दान करें। चांदी का दान करने से संतान और समृद्धि में वृद्धि होती है।
स्वास्थ्य और मानसिक शांति: चंद्रमा को दूध और श्वेत पुष्प अर्पित करें। मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं और चीटियों को शक्कर डालें।
अमावस्या के दिन विशेष सावधानियां
क्रोध और तामसिक भोजन से बचें।
ब्रह्मचर्य का पालन करें।
शुभ कार्य (विवाह, गृह प्रवेश आदि) न करें।
स्थानीय पंचांग के अनुसार मुहूर्त की पुष्टि करें।
अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना और पितरों के लिए दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा,
घर में गाय की सेवा करना और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए नमक का पानी से पोछा लगाना भी अच्छा होता है।
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