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Bhanu Saptami: हिंदू धर्म में भानु सप्तमी व्रत का विशेष महत्व है। इसे रथ सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और यह व्रत सूर्य देव को समर्पित है। बता दें कि शास्त्रों में भानु सप्तमी का दिन सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूजा-पाठ करने और व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। साथ ही, कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। आइए जानते हैं अप्रैल में भानु सप्तमी का व्रत कब रखा जाएगा और जानिए इसका शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और धार्मिक महत्व के बारे में।
भानु सप्तमी 2025 की तिथि
पंचांग के अनुसार, इस बार शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि की शुरुआत 19 अप्रैल की शाम 6 बजकर 21 मिनट पर होगी। वही तिथि का समापन आगले दिन 20 अप्रैल को शाम 7 बजे होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 20 अप्रैल 2025 को भानु सप्तमी मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में भानु सप्तमी व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में भानु सप्तमी का विशेष महत्व है। यह पर्व सूर्य देव की उपासना को समर्पित है और इसे सूर्य सप्तमी, रथ सप्तमी, अचला सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, और वैवस्वत सप्तमी जैसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। भानु सप्तमी का व्रत और पूजा हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक, शारीरिक, और सामाजिक लाभ प्रदान करता है। इस लेख में हम भानु सप्तमी के महत्व, 2025 की तिथि, पूजा विधि, मंत्र, और इससे जुड़े धार्मिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
भानु सप्तमी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य को जीवन का आधार और ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। सूर्य देव को न केवल प्रकृति का नियंत्रक, बल्कि आत्मा, स्वास्थ्य, और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। भानु सप्तमी का पर्व सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने, रोगों से मुक्ति, धन-समृद्धि, और दीर्घायु की कामना के लिए मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सूर्य देव पहली बार अपने सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर पृथ्वी पर प्रकट हुए और अंधकार को दूर करने के लिए अपनी किरणें फैलाईं, तब वह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि थी। इस घटना के उपलक्ष्य में भानु सप्तमी मनाई जाती है।
भानु सप्तमी का विशेष महत्व उन लोगों के लिए है जो अपनी कुंडली में सूर्य की कमजोर स्थिति से प्रभावित हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रह आत्मविश्वास, नेतृत्व, और स्वास्थ्य का कारक है। इस दिन व्रत और पूजा करने से सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे करियर, व्यापार, और व्यक्तिगत जीवन में सफलता मिलती है। इसके अलावा, यह व्रत मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने में भी सहायक माना जाता है।
भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा लाभ
स्वास्थ्य लाभ: यह व्रत त्वचा रोग, पेट रोग, और आंखों के रोगों से मुक्ति दिलाता है।
धन और समृद्धि: सूर्य देव की कृपा से धन, सौभाग्य, और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक शुद्धि: इस दिन व्रत और मंत्र जाप से पापों का नाश होता है और आत्मा की शुद्धि होती है।
संतान और पारिवारिक सुख: यह व्रत संतान की समृद्धि और पारिवारिक सुख के लिए भी लाभकारी है।
मोक्ष प्राप्ति: सच्चे मन से सूर्य देव की आराधना करने से मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
भानु सप्तमी केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व विशेष रूप से पश्चिमी और दक्षिणी भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। इस दिन भक्त सूर्य मंदिरों में दर्शन करते हैं, दीपक जलाते हैं, और दान-पुण्य करते हैं। गाय को गुड़ और रोटी खिलाना पुण्यदायी माना जाता है, जिससे रोगों का नाश और आयु में वृद्धि होती है।
यह पर्व सामुदायिक एकता को भी बढ़ावा देता है। लोग एक साथ पूजा, भजन, और कीर्तन में भाग लेते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं। इसके अतिरिक्त, इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करने की परंपरा है, जो सामाजिक समानता और करुणा को प्रोत्साहित करती है।
भानु सप्तमी तिथि 2025
हिंदू पंचांग के अनुसार, भानु सप्तमी हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन जब यह तिथि रविवार के साथ संयोग बनाती है, तब इसका महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि रविवार सूर्य देव का दिन माना जाता है।
भानु सप्तमी पूजा विधि
प्रातः स्नान: सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी या गंगाजल युक्त जल से स्नान करें। साफ-सुथरे, विशेष रूप से लाल या पीले वस्त्र धारण करें।
व्रत संकल्प: दाहिने हाथ में गंगाजल, चावल, और लाल फूल लेकर व्रत का संकल्प करें।
सूर्य को अर्घ्य: तांबे के लोटे में शुद्ध जल लें और उसमें लाल चंदन, अक्षत (चावल), लाल फूल, और कुछ गेहूं के दाने मिलाएं। उगते सूर्य को ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय तीन बार परिक्रमा करें।
सूर्य पूजा: सूर्य देव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। दीपक जलाएं और कुमकुम, अक्षत, लाल फूल (विशेष रूप से गुड़हल), और धूप अर्पित करें।
भोग: सूर्य देव को गुड़ से बने मालपुए, गुड़-चावल, या गुड़ की मिठाई का भोग लगाएं।
मंत्र जाप और पाठ: सूर्य के बीज मंत्र ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’ या ‘ॐ सूर्याय नमः’ का 108 बार जाप करें। इसके अतिरिक्त, आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य चालीसा, या सूर्य कवच का पाठ करें।
कथा और आरती: पूजा के अंत में भानु सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें, फिर सूर्य देव की आरती करें।
दान-पुण्य: गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र, या अन्य उपयोगी वस्तुओं का दान करें। गाय को हरा चारा या गुड़-रोटी खिलाएं। hindu religion | hindi religious
भानु सप्तमी पूजा मंत्र
सूर्य बीज मंत्र:
ॐ घृणि सूर्याय नमः
(इस मंत्र का 108 बार जाप करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है)
सूर्य मंत्र:
ॐ सूर्याय नमः
(यह मंत्र सरल और प्रभावशाली है, जो सूर्य की ऊर्जा को ग्रहण करने में सहायक है।)
आदित्य हृदय स्तोत्र: यह एक शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ भानु सप्तमी के दिन करने से शत्रुओं पर विजय, आत्मविश्वास, और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।
गायत्री मंत्र:
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करने से मानसिक शांति और बुद्धि का विकास होता है।
भानु सप्तमी व्रत के नियम
भानु सप्तमी व्रत के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है:
नमक का त्याग: व्रत के दिन नमक का सेवन न करें। फलाहार या बिना नमक का भोजन करें।
शुद्धता: पूजा और व्रत के दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें।
रात्रि जागरण: रात में भजन-कीर्तन या सूर्य मंत्रों का जाप करें।
दान: सामर्थ्य के अनुसार दान करें, विशेष रूप से गेहूं, गुड़, और लाल वस्त्रों का दान शुभ माना जाता है।