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Chaitra Navratri, पांचवें द‍िन करें मां स्कंदमाता की पूजा, होती है संतान सुख की प्राप्ति, जानें पूजा विधि

आज गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है, और इस दिन विशेष रूप से मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व है। उनकी पूजा से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि यह पूजा भक्तों के ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि करती है।

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Ranjana Sharma
Chaitra Navratri (2)
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नई दिल्‍ली, वाईबीएन नेटवर्क।

आज गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन है, और इस दिन विशेष रूप से मां स्कंदमाता की पूजा का महत्व है। उनकी पूजा से न केवल संतान सुख प्राप्त होता है, बल्कि यह पूजा भक्तों के ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि करती है। स्कंदमाता को "पद्मासना" भी कहा जाता है क्योंकि वह कमल के फूल पर विराजमान हैं और सिंह की सवारी करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं और उनकी पूजा से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि बुद्धि और ज्ञान की भी प्राप्ति होती है।
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स्कंदमाता की पूजा के लाभ

मां स्कंदमाता की पूजा से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यह पूजा बुद्धि का विकास करती है और भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है। स्कंदमाता की पूजा करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति बेहतर होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मां स्कंदमाता की कृपा से न केवल निसंतान दंपत्ति संतान सुख से लाभान्वित होते हैं, बल्कि हर व्यक्ति के जीवन में खुशी, समृद्धि और ज्ञान का आकाश फैलता है।

स्कंदमाता की पूजा विधि

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  • स्नान और शुद्धि: सबसे पहले, पूजा के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। शारीरिक और मानसिक शुद्धि के बाद, पूजा स्थल को भी शुद्ध करें और गंगाजल छिड़कें।
  • मंदिर या पूजा स्थल पर तैयारी: अब पूजा स्थल पर जाएं और चौकी पर एक सफेद या लाल कपड़ा बिछाकर, उस पर एक छोटा सा ताजिया या कलश रखें।
  • मां को अर्पित करें: पूजा में मां को रोली, कुमकुम, अक्षत (चावल), चंदन, पान-सुपारी और लाल फूल अर्पित करें। साथ ही, मां से प्रार्थना करें और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आशीर्वाद मांगे।
  • गंगाजल से शुद्धि और ध्यान: पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर स्कंदमाता का ध्यान करें। ध्यान करते समय, मां के स्वरूप को अपने मन में साफ-साफ चित्रित करें और एक आसन पर बैठकर ध्यान लगाएं।
  • पारिवारिक पूजा और जयकारे: परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर मां के जयकारे लगाएं और पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करें। इसके बाद, नवग्रह और कलश पूजा करें।
  • आरती और पाठ: पूजा के अंत में मां की आरती करें। इसके लिए एक थाली में घी का दीपक और कपूर जलाएं। इसके साथ ही दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • मां से क्षमा प्रार्थना: अगर पूजा के दौरान कोई गलती हो जाए, तो मां से क्षमा प्रार्थना करें।

स्कंदमाता की पूजा का लाभ

मां स्कंदमाता की पूजा से जीवन में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इससे न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि यह पूजा हर व्यक्ति की अन्य इच्छाओं को भी पूरा करती है। साथ ही, यह पूजा मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी सरल बनाती है। पूजा के दौरान किए गए प्रार्थनाओं से जीवन में ज्ञान की रौशनी आती है और अज्ञानता दूर होती है।
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मंत्र:

“या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

पुष्प और भोग अर्पित करें

स्कंदमाता की पूजा में विशेष रूप से फल, चावल, गुड़, मीठे पदार्थ और नारियल अर्पित किए जाते हैं। ये सब माता के प्रति आस्था और श्रद्धा का प्रतीक होते हैं। तो इस पवित्र दिन पर, सभी भक्तों को मां स्कंदमाता की पूजा करके उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए और जीवन को खुशहाल बनाना चाहिए।
chaitra navratri 2025
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