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IndiraEkadashinews Photograph: (ians)
नई दिल्ली। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी इस बार बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेंगे, जो इसे और भी खास बनाता है। व्रत रखने वाले श्रद्धालु प्रातः स्नान के बाद भगवान विष्णु को तुलसी, पुष्प और धूप-दीप अर्पित करेंगे।
पितृ दोषों का निवारण
कथा श्रवण और दान करने से पितृ दोषों का निवारण माना जाता है। शास्त्रों में वर्णित है कि इस व्रत के प्रभाव से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर-परिवार पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। इंदिरा एकादशी को हर वर्ष पितरों की तृप्ति और आत्मिक शांति के लिए बेहद पावन माना जाता है।
पंचांग के अनुसार
दृक पंचांग के अनुसार, इस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं होगा, जबकि राहुकाल दोपहर 12:15 बजे से 1:47 बजे तक रहेगा। इस समयावधि में शुभ कार्यों से बचना चाहिए।
पद्म पुराण के अनुसार
पद्म पुराण में कहा गया है कि इस व्रत को करने से कन्यादान और हजारों वर्षों की तपस्या से भी अधिक पुण्य प्राप्त होता है, जो व्रती को मोक्ष के मार्ग पर ले जाता है। यह पवित्र दिन पितरों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से न केवल पूर्वजों को मुक्ति मिलती है, बल्कि व्रती का जीवन भी कल्याणमय बनता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार
गरुड़ पुराण के अनुसार, इंदिरा एकादशी का व्रत जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट करता है और मृत्यु के बाद आत्मा को उच्च लोक में स्थान दिलाता है। यह व्रत पितरों को नरक से मुक्ति दिलाकर वैकुंठ लोक की प्राप्ति कराता है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
सरल और प्रभावी उपाय
इंदिरा एकादशी पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई सरल और प्रभावी उपाय किए जा सकते हैं, जिनमें दक्षिण दिशा में सरसों के तेल का दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। एक काले कपड़े में रखकर काले तिल और दाल गाय को खिलाना पितरों को तृप्त करता है। पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर परिक्रमा करने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ और 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप पितरों की आत्मा को शांति देता है। इसके अतिरिक्त, जरूरतमंदों को घी, दूध, दही और चावल का दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
(इनपुट-आईएएनएस)