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AmbajiTemple Photograph: (IANS)
जूनागढ़। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में नवरात्रि का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इन राज्यों में स्थित प्राचीन शक्तिपीठ और देवी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहते हैं। गुजरात का अंबा जी मंदिर, पावागढ़ का कालीका माता मंदिर और महाराष्ट्र का तुलजा भवानी मंदिर, कोल्हापुर महालक्ष्मी मंदिर जैसे स्थल हर वर्ष लाखों भक्तों को अपनी ओर खींचते हैं। नवरात्रि के दौरान यहां भव्य सजावट, गरबा-डांडिया और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
मालूम हो कि शारदीय नवरात्रि का पर्व भारत में शक्ति की उपासना और मां दुर्गा की आराधना का सबसे बड़ा अवसर है। खासकर शक्तिपीठों में नवरात्रि की रौनक देखते हीं बनती है। इस दौरान पूरे देश में भक्त देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में कई प्राचीन शक्तिपीठ और मंदिर हैं, जो नवरात्रि में विशेष आकर्षण का केंद्र बनते हैं।
अंबाजी शक्तिपीठ:
गुजरात और राजस्थान की सीमा पर स्थित अंबाजी शक्तिपीठ भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यह माउंट आबू से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मां भवानी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक श्रीयंत्र स्थापित है। श्रद्धालु मानते हैं कि विशेष रूप से सजाए गए इस श्रीयंत्र में मां का विग्रह दिखाई देता है, लेकिन यह सामान्य आंखों से दिखाई नहीं देता और इसका फोटो भी नहीं लिया जा सकता। मान्यता है कि यहां मां सती का हृदय गिरा था। अंबाजी मंदिर नवरात्रि में भक्ति और आस्था का एक विशाल केंद्र बन जाता है।
चंद्रभागा शक्तिपीठ:
गुजरात के जूनागढ़ जिले में कपिला, हिरण्या और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम के पास स्थित चंद्रभागा शक्तिपीठ माता सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यह प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर के पास है। मान्यता है कि यहीं पर माता सती का आमाशय गिरा था। यहां देवी की पूजा चंद्रभागा नाम से की जाती है।
भ्रामरी देवी शक्तिपीठ:
महाराष्ट्र के नासिक में गोदावरी घाटी में स्थित भ्रामरी देवी शक्तिपीठ भी मां सती के 51 पीठों में से एक है। कहा जाता है कि यहां मां सती की ठोड़ी गिरी थी। इस स्थान को भद्रकाली शक्तिपीठ भी कहा जाता है। नासिक रोड स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर दूर पंचवटी क्षेत्र में स्थित इस शक्तिपीठ में माता भ्रामरी के रूप में पूजी जाती हैं, जबकि भैरव को विकृताक्ष नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और मां के जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठता है।
आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत
चंद्रभागा, अंबाजी और भ्रामरी देवी जैसे शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत भी हैं। नवरात्रि के पावन अवसर पर इन मंदिरों में दर्शन करना जीवन में सकारात्मकता और शक्ति का संचार करता है। यही कारण है कि हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर मां शक्ति के चरणों में अपनी भक्ति अर्पित करते हैं।
(इनपुट-आईएएनएस)