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नवरात्रि पर विशेष : एक ऐसा मंद‍िर जहां मुगल बादशाह ने भी झुकाया स‍िर, देवी मां की मह‍िमा को क‍िया स्‍वीकार

वैदिक शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का वर्णन किया गया है, और भारत के अधिकांश देवी मंदिरों में इन्हीं स्वरूपों की मूर्तियों की पूजा होती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर एक ऐसा अनोखा मंदिर है

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Ranjana Sharma
Jwala Devi Temple
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वैदिक शास्त्रों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का वर्णन किया गया है, और भारत के अधिकांश देवी मंदिरों में इन्हीं स्वरूपों की मूर्तियों की पूजा होती है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी मंदिर एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां माता रानी की मूर्ति नहीं, बल्कि ज्योति स्वरूप में पूजा की जाती है। इस मंदिर में एक पवित्र पत्थर से लगातार नौ अग्नि की ज्वालाए स्वतः प्रज्वल्लित होती रहती हैं, जो मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। यह प्राकृतिक चमत्कार आज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

मुगल बादशाह ने भी झुकाया सिर 

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मुगल सम्राट अकबर के बारे में कहा जाता है कि जब उन्होंने इस मंदिर के बारे में सुना, तो वह अपनी सेना के साथ वहां पहुंचे और मां ज्वाला की ज्योति को बुझाने का प्रयास किया। वह कई बार मंदिर में आकर अग्नि को बुझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन हर बार वह असफल रहे। यह अद्भुत दृश्य देखकर अकबर ने मां ज्वाला की शक्तियों को स्वीकार किया और मंदिर में सोने का छत्र भेंट किया। लेकिन मां ज्वाला देवी ने उसकी भेंट को अस्वीकार कर दिया और उसे यह महसूस कराया कि दिव्य शक्तियां किसी भेंट या उपहार से नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ी होती हैं। इस घटना ने अकबर को यह समझाया कि आस्था और श्रद्धा का कोई मूल्य नहीं होता और किसी भी शक्ति के सामने शाही अभिमान का कोई स्थान नहीं होता।

पौराणिक कथाओं में हैं मान्‍यता 

ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह मंदिर आठवीं शताब्दी के प्रसिद्ध आचार्य आदि शंकराचार्य से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इस मंदिर के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके अलावा एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब देवी सती को उनके पिता के अपमान का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने अपने शरीर की आहुति यज्ञ में दी। इसके बाद भगवान शिव बहुत दुखी हुए और उन्होंने माता सती के शरीर को उठाकर तांडव नृत्य करना शुरू कर दिया। इस तांडव के कारण सृष्टि का अंत होने वाला था, जिसे रोकने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया और ये शरीर के भाग पृथ्वी पर विभिन्न शक्तिपीठों के रूप में गिरे। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित ज्वाला देवी शक्तिपीठ उस स्थान पर है जहां माता सती की जीभ गिरी थी।
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चमत्कारी कुंड और अन्य विशेषताए

ज्वाला देवी मंदिर के पास "गोरख डिब्बी" नामक एक रहस्यमयी कुंड भी स्थित है, जिसे लोग दूर से देखकर समझते हैं कि यह कुंड गर्म पानी से भरा हुआ है, लेकिन वास्तव में इसमें ठंडा पानी होता है। यह भी एक अजीब चमत्कार है, जो मंदिर की दिव्यता को और भी प्रगाढ़ करता है।
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