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मन की शांति और समृद्धि के लिए ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर करें पूजा : जानें स्नान, दान का शुभ मुहूर्त

इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान देने, और भगवान विष्णु, शिव, और माता लक्ष्मी की पूजा करने से पापों से मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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Mukesh Pandit
Purnima 2025
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हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है, और ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र माना जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा, जिसे वट पूर्णिमा या देव स्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, स्नान, दान, और पूजा-पाठ के लिए शुभ दिन है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, दान देने, और भगवान विष्णु, शिव, और माता लक्ष्मी की पूजा करने से पापों से मुक्ति, पुण्य की प्राप्ति, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यह दिन सावित्री-सत्यवान की कथा से भी जुड़ा है, जहां महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट (बरगद) वृक्ष की पूजा करती हैं। आइए जानते हैं ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025 की तिथि, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि के बारे में।

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वट सावित्री व्रत के लिए प्रसिद्ध है

इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा 11 जून 2025, बुधवार को मनाई जाएगी। ये दिन व्रत, दान और पूजा-पाठ के लिए बहुत पवित्र माना जाता है। खासतौर पर ये तिथि वट सावित्री व्रत के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इससे मन को शांति और घर में समृद्धि प्राप्त होती है। इसके अलावा पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, और कथा श्रवण जैसे कार्यों का भी विशेष महत्व है। अगर गंगा स्नान संभव न हो, तो घर में गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करने की परंपरा भी है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025: तिथि और समय

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पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जून 2025, सुबह 11:35 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जून 2025, दोपहर 01:13 बजे
उदयातिथि के अनुसार व्रत: 11 जून 2025, बुधवार को मनाया जाएगा
चंद्रोदय का समय: 11 जून 2025 को शाम 06:45 बजे
उदयातिथि के आधार पर, ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत और पूजा 11 जून 2025 को की जाएगी। इस दिन सिद्ध योग, रवि योग, और साध्य योग जैसे शुभ संयोग भी बन रहे हैं, जो इसकी महत्ता को और बढ़ाते हैं।

स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान और दान का विशेष महत्व है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में स्नान और दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है। 2025 में स्नान-दान के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
प्रातःकाल मुहूर्त: सुबह 04:02 बजे से 04:42 बजे तक
अमृत काल मुहूर्त: सुबह 10:35 बजे से दोपहर 12:20 बजे तक
इन समयों में पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना, या अन्य जलाशयों में स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि पवित्र नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद दान-पुण्य करना न भूलें, क्योंकि यह ग्रह दोषों को दूर करता है और सुख-समृद्धि लाता है।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा का धार्मिक, आध्यात्मिक, और सामाजिक महत्व है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ मास में पृथ्वी पर गर्मी चरम पर होती है, इसलिए जल दान का महत्व दस गुना बढ़ जाता है। यह दिन सावित्री-सत्यवान की कथा से भी जुड़ा है, जहां साहसी सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान का जीवनदान मांगा। इस कारण विवाहित महिलाएं वट वृक्ष की पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इसके अलावा, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु, शिव, और माता लक्ष्मी की पूजा से सुख, समृद्धि, और मानसिक शांति मिलती है। चंद्रमा की पूजा से कुंडली में चंद्र दोष दूर होता है। यह दिन पितरों को तृप्त करने के लिए भी उत्तम है, क्योंकि दान-पुण्य से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा को जगन्नाथ यात्रा, संत कबीर जयंती, और गुरु गोरखनाथ जयंती जैसे अवसरों से भी जोड़ा जाता है, जो इसकी महत्ता को और बढ़ाते हैं।

ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि

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प्रातःकाल स्नान: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें और पवित्र नदी या जलाशय में स्नान करें।
यदि नदी स्नान संभव न हो, तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान करते समय सभी पवित्र नदियों का ध्यान करें और पापमुक्ति की प्रार्थना करें।

पूजा की तैयारी:

घर के मंदिर को साफ करें और एक चौकी पर पीला या सफेद वस्त्र बिछाएं।
भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और शिव जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
वट वृक्ष की पूजा के लिए बरगद की टहनी या चित्र का उपयोग करें

अभिषेक और पूजन: सभी देवी-देवताओं का गंगाजल, दूध, और जल से अभिषेक करें। भगवान विष्णु को तुलसी, पीले फूल, और हल्दी की गांठ अर्पित करें। माता लक्ष्मी को कमल के फूल और मिठाई का भोग लगाएं। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, और जल अर्पित करें।

वट वृक्ष पूजा:

विवाहित महिलाएं वट (बरगद) वृक्ष के नीचे जाएं। वृक्ष पर जल अर्पित करें और कच्चा सूत लेकर 7 बार लपेटें, पति की लंबी आयु की प्रार्थना करें

चंद्रमा की पूजा: शाम को चंद्रोदय (06:45 बजे) के बाद चंद्रमा को दूध और जल का अर्घ्य दें।

"ॐ चन्द्रमसे नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
चंद्रमा की पूजा से मानसिक शांति और चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है।

व्रत और कथा: व्रत रखें, जिसमें फलाहार या हल्का सात्विक भोजन लें। कुछ लोग निर्जला व्रत भी रखते हैं।
सत्यनारायण भगवान की कथा सुनें या पाठ करें, इससे संतान और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दान-पुण्य: जरूरतमंदों को जल, पंखा, खीरा, तरबूज, सत्तू, सूती वस्त्र, अन्न, और धन का दान करें।
सफेद वस्तुएं जैसे दूध, दही, चावल, और मिश्री दान करने से चंद्र दोष दूर होता है।

दान की वस्तुएं। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर निम्नलिखित वस्तुओं का दान शुभ माना जाता है:
जल और शीतलता: जल से भरा कलश, पंखा, छाता
खाद्य पदार्थ: सत्तू, खीरा, तरबूज, दही, चावल, मिश्री
वस्त्र: सूती कपड़े, खासकर सफेद रंग के
अन्य: धन, अन्न, और मौसम के अनुकूल फल दान करने से ग्रह दोष (शनि, राहु, केतु) शांत होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2025, 11 जून को मनाई जाएगी, जो स्नान, दान, और पूजा के लिए अत्यंत शुभ दिन है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, भगवान विष्णु, शिव, और माता लक्ष्मी की पूजा, और वट वृक्ष की अराधना से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि आती है। शुभ मुहूर्त में स्नान (सुबह 04:02 से 04:42 और 10:35 से 12:20) और दान से पुण्य की प्राप्ति होती है। चंद्रमा की पूजा और सत्यनारायण कथा से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पवित्र दिन हमें धर्म, कृतज्ञता, और सेवा की ओर प्रेरित करता है।

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