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वैदिक या सनातन धर्ममें सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस पवित्र माह में प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है, जो माता पार्वती के मंगला गौरी स्वरूप को समर्पित है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं और अविवाहित कन्याओं दोनों के लिए अत्यंत शुभ है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इसकी आराधना करती हैं। वर्ष 2025 में सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा। जानें द्वितीय मंगला गौरी व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन 2025 में दूसरा मंगला गौरी व्रत 22 जुलाई, मंगलवार को होगा। इस दिन पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 04:14 से 04:56 तक है। अभिजित मुहूर्त में सुबह 11:59 से दोपहर 12:55 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:43 से 03:37 तकप्रदोष काल: शाम 07:19 से रात 08:20 तकइन शुभ मुहूर्तों में माता गौरी और भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन सौभाग्य योग और भौम प्रदोष व्रत का संयोग भी बन रहा है, जो इसे और भी पुण्यदायी बनाता है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए यह व्रत रखा था। इसलिए, यह व्रत वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता लाने के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यह व्रत दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य को बढ़ाता है। सुहागिन महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं। अविवाहित कन्याओं के लिए यह व्रत मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति में सहायक है। जिन दंपत्तियों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है, उनके लिए यह व्रत लाभकारी है। इस व्रत से कुंडली में मौजूद मंगल दोष का प्रभाव कम होता है।
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि
मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि सरल लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे विधि-विधान से करने से माता गौरी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ लाल वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और भगवान शिव व माता गौरी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प मंत्र: “मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरीप्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरीव्रतमहं करिष्ये।
पूजा की तैयारी:
एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता गौरी और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।षोडशोपचार पूजन: माता गौरी को सोलह श्रृंगार की सामग्री (चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, फूल, मिठाई आदि), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची और सूखे मेवे अर्पित करें। सोलह की संख्या में सामग्री चढ़ाना शुभ माना जाता है।दीपक प्रज्वलन: आटे का दीपक बनाएं, जिसमें गाय का घी और सोलह बत्तियां हों। इसे माता के समक्ष जलाएं। मंत्र जाप: पूजा के दौरान “ॐ गौरी शंकराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।Mangla Gauri Vrat puja 2025 | suhaag vrat 2025 | Mangla Gauri Tuesday puja | Sawan special vrat