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amawashya Photograph: (amawashya)
प्रयागराज। सनातन धर्म में मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या का विशेष महत्व है, जिसे 'छोटा कुंभ' भी कहा जाता है। इस दिन प्रयागराज के त्रिवेणी संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन स्थल) पर स्नान-दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। मार्गशीर्ष के महीने में पड़ने वाली अमावस्या हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के लिए किया दान-पुण्य 100 गुना ज्यादा फल और सुख समृद्धि देता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या
मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं इस माह के महत्व को बताया है। अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है। इसलिए इस दिन संगम में आस्था की डुबकी लगाने और पितृ तर्पण (पितरों को जल अर्पित करना), पिंडदान और दान करने से पितृ दोष समाप्त होता है। इस पवित्र स्नान से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है, पापों का नाश होता है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। स्नान के बाद भगवान शिव और विष्णु की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।
अमावस्या का मुहूर्त
बुधवार सुबह 9 बजकर 43 मिनट से अमावस्या का मुहूर्त शुरू हुआ था, जो गुरुवार को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। हालांकि उदया तिथि के हिसाब से देशभर में गुरुवार को ही अमावस्या मानी जा रही है। अमावस्या के दिन मोटे अनाज, काले तिल, दालें और वस्त्र दान करने का महत्व होता है। वहीं अगर किसी के पितृ शांत नहीं हैं, तो भी आज के दिन उनकी शांति के लिए पूजा पाठ किया जाता है।
प्रयागराज के संगम
प्रयागराज के संगम पर श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगा रहे हैं और अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण कर रहे हैं। गुरुवार सुबह से ही प्रयागराज के संगम पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा रही है। स्नान करने के साथ श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए अन्न और वस्त्रों का दान कर रहे हैं। घाट पर स्नान करने पहुंचे श्रद्धालु ने कहा कि वे अमावस्या पर संगम में स्नान करने आए हैं। हमने अपने पूर्वजों के लिए स्नान किया और उनके नाम से दान-पुण्य भी किया है। वे बताते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों के नाम का स्नान जरूरी करना चाहिए, क्योंकि इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
अमावस्या का महत्व
गोपाल गुरु तीर्थ पुरोहित ने मार्गशीर्ष अमावस्या का महत्व बताते हुए कहा कि अमावस्या पर किसी भी नदी में पवित्र स्नान करने से कुल की उन्नति होती है, लेकिन आज के दिन अगर संगम में स्नान किया जाए तो पारिवारिक कल्याण, मानसिक कल्याण, शारीरिक कल्याण और पितरों का भी कल्याण होता है। संगम तीन पवित्र नदियों का स्थान है और यहां स्नान करने से गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों का आशीर्वाद मिलता है। उन्होंने आगे कहा कि आज के दिन किया स्नान और दान पितरों को लगता है, जो हमारे आने वाले जीवन को कल्याणकारी बनाते हैं। पितरों को शांति मिलती है। अगर वे शांत और सुखी हैं तो हमारा जीवन सुखों से भर जाता है।
(इनपुट-आईएएनएस)
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