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Karthigai Photograph: (ians)
नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह की शुरुआत अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस महीने में गंगा स्नान, गीता पाठ और श्रीकृष्ण-मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस पवित्र माह में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। गीता पाठ करने से मन को स्थिरता और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक प्रगति और परिवार में सौभाग्य का आगमन होता है। यह माह भक्ति और पुण्य कर्मों का श्रेष्ठ काल माना गया है।
मार्गशीर्ष माह की शुरुआत
मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि गुरुवार को मार्गशीर्ष और मासिक कार्तिगाई है। इस दिन सूर्य तुला राशि में और चंद्रमा सुबह 11 बजकर 27 मिनट तक मेष राशि में रहेगा। इसके बाद वृषभ राशि में गोचर करेंगे।
मासिक कार्तिगाई-
पुराणों के अनुसार मासिक कार्तिगाई, जिसे मासिक कार्तिगाई दीपम भी कहते हैं। यह त्योहार हर महीने तब मनाया जाता है, जब चंद्र मास के दौरान कार्तिगाई नक्षत्र प्रबल होता है। यह भगवान शिव और उनके पुत्र भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) को समर्पित है। इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और दीप जलाने से जीवन से नकारात्मकता दूर होती है।
अभिजीत मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 43 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर 2 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।
पुराण में मार्गशीर्ष माह का उल्लेख
स्कंद, नारद और शिव पुराण में मार्गशीर्ष माह का उल्लेख मिलता है, जिसमें इस माह में धार्मिक अनुष्ठान और दान पुण्य का वर्णन किया गया है। स्कंद पुराण में मार्गशीर्ष में व्रत और ब्राह्मणों को भोजन कराने के महत्व के बारे में बताया गया है, जबकि शिव पुराण में अन्नदान और चांदी के दान को महत्वपूर्ण बताया गया है।
कृष्ण और मां लक्ष्मी की उपासना
इस माह में भगवान कृष्ण और मां लक्ष्मी की उपासना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस माह में स्नान, पूजा, जप-तप और दान करने का विधान है, जिससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है।
सतयुग के आरंभ का प्रतीक
मान्यता है कि इस महीने में गंगा स्नान, श्रीमद्भगवदगीता का पाठ, 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप' और भगवान श्री कृष्ण की उपासना करना विशेष फलदायी माना जाता है। संध्याकाल में भी भगवान की उपासना करना अनिवार्य है। साथ ही बाल-गोपाल को भोग लगाते समय तुलसी का पत्ता जरूर शामिल करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है। मार्गशीर्ष माह सतयुग के आरंभ का प्रतीक भी है, जिससे इस माह की महत्ता और भी बढ़ जाती है।
(इनपुट-आईएएनएस)
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