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maadurga Photograph: (IANS)
भोपाल। मध्य प्रदेश को देवी-उपासना की भूमि कहा जाता है, जहां अनेक स्थित हैं। इनप्राचीन शक्तिपीठमें मां पीताम्बरा पीठ (दतिया), मां शारदा मंदिर (मैहर), हिंगलाज देवी, मां बगलामुखी और मां राजराजेश्वरी मंदिर विशेष प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि यहां आज भी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और अद्भुत चमत्कार देखने को मिलते हैं। नवरात्रि और विशेष अवसरों पर यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं। इन शक्तिपीठों में साधना और पूजा-अर्चना करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
शक्तियों की उपासना
मालूम हो कि शारदीय नवरात्रि देवी दुर्गा और उनकी विभिन्न शक्तियों की उपासना और साधना का महापर्व माना जाता है। नवरात्रि के दौरान देशभर के देवी मंदिरों में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। भारत-नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले के पाटन गांव में स्थित देवीपाटन शक्तिपीठ का भी बहुत महत्व है। मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध (बायां कंधा) वस्त्र समेत गिरा था। इसी कारण इस स्थान को देवीपाटन कहा जाता है। नवरात्रि के समय यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मध्य प्रदेश में भी कई शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जहां विशेष रूप से श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है।
नर्मदा शक्तिपीठ:
अमरकंटक में ही स्थित देवी नर्मदा शक्तिपीठ को भी अत्यंत पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती का दायां नितंब गिरा था। इस स्थल पर देवी नर्मदा या सोनाक्षी के रूप में पूजी जाती हैं और भैरव भद्रसेन नाम से विराजमान हैं। यहां नवरात्रि के अलावा मकर संक्रांति, शरद पूर्णिमा, रामनवमी और दीपावली जैसे त्योहारों पर भी विशेष उत्सव का आयोजन होता है।
अवंति शक्तिपीठ:
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के पूर्वी तट पर स्थित अवंति शक्तिपीठ देवी भक्तों के लिए प्रमुख केंद्र है, जिसे भैरव पर्वत मंदिर भी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती का ऊपरी होंठ गिरा था। इसी कारण इस स्थल को 51 शक्तिपीठों में विशेष स्थान प्राप्त है। यहां माता को मां अवंती या अवंतिका के रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव की पूजा लम्बकर्ण के रूप में की जाती है। नवरात्रि के समय यहां विशेष पूजन, भंडारा और भव्य आयोजन होते हैं।
कालमाधव शक्तिपीठ:
इसके अलावा,अमरकंटक धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन स्थल माना जाता है। यहां स्थित कालमाधव शक्तिपीठ का महत्व इसलिए है, क्योंकि मान्यता है कि यहां देवी सती का बायां नितंब गिरा था। देवी को यहां काली रूप में पूजा जाता है, जबकि भगवान शिव कालमाधव या असितांग के रूप में विराजमान हैं। नवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष धार्मिक अनुष्ठान, साधना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।
(इनपुट-आईएएनएस)