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नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क,
Mahashivratri : महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं। इन्हीं अनुष्ठानों में से एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान पंचक्रोशी यात्रा है। जिसकी परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है। भारत की दो धार्मिक नगरी में यह परंपरा आज भी है। महाशिवरात्रि पर यहां लोग पंचकोशी परिक्रमा के लिए दूर-दराज से आते हैं।
क्या है पंचक्रोशी यात्रा और इसका महत्व
महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव भक्त पंचक्रोशी यात्रा करते हैं। इस यात्रा की शुरुआत त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम ने यह यात्रा अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के माता-पिता द्वारा दिए गए श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए की थी। कहा जाता है कि राजा दशरथ के बाण से अनजाने में श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी। इस घटना के बाद उनके वृद्ध माता-पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग में तड़पकर मरने का श्राप दे दिया था। पिता को इस श्राप से मुक्त करने के लिए श्रीराम ने पंचक्रोशी यात्रा की थी। मान्यता है कि यह यात्रा करने से श्रद्धालु को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
पंचक्रोशी यात्रा का धार्मिक महत्व और स्थल
महाशिवरात्रि के अवसर पर पंचक्रोशी यात्रा विशेष रूप से उज्जैन और वाराणसी में की जाती है। ये दोनों ही नगर भगवान शिव की पवित्र नगरी माने जाते हैं। उज्जैन में यह यात्रा वैशाख माह में संपन्न होती है। इस दौरान श्रद्धालु पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर और नीलकंठेश्वर शिव मंदिरों के दर्शन करते हैं।
बनारस की पंचकोशी यात्रा
शिव नगरी काशी में यह यात्रा गंगा के मणिकर्णिका घाट से प्रारंभ होती है। महाशिवरात्रि के दिन यह यात्रा मध्य रात्रि से शुरू होती है। यहां से श्रद्धालु कर्दमेश्वर मंदिर की यात्रा करते हैं, फिर भीम चंडी, रामेश्वर, शिवपुर, कपिलधारा होते हुए पुनः मणिकर्णिका घाट लौटते हैं।
पंचकोशी परिक्रमा से मिलता पुण्यलाभ
इस यात्रा को करने से भक्तों को पापों से मुक्ति, मोक्ष की प्राप्ति और शिव कृपा का आशीर्वाद मिलता है। विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर इस यात्रा का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस परिक्रमा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शिव भक्ति का विशेष फल प्राप्त होता है।
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