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इस नक्षत्र में जन्मे लोग मेहनती व दूसरों की भलाई करने वाले, क्यों कहा जाता है इसे नक्षत्रों का राजा

पुष्य नक्षत्र, ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र है, जो कर्क राशि में स्थित होता है। यह नक्षत्र चंद्रमा की गति पर आधारित है और हर महीने एक बार आता है।  इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। नए कार्यों की शुरुआत इस मौके पर करनी चाहिए। 

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Mukesh Pandit
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पुष्य नक्षत्र एक शुभ और मंगलकारी समय है, जो धन, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति के अवसर प्रदान करता है। इसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है।  इसका उपयोग खरीदारी, धार्मिक कार्यों, और नए कार्यों की शुरुआत के लिए करना चाहिए। सही समय और विधि के साथ इसका लाभ उठाकर जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। पुष्य नक्षत्र, ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्रों में से आठवां नक्षत्र है, जो कर्क राशि में स्थित होता है। यह नक्षत्र चंद्रमा की गति पर आधारित है और हर महीने एक बार आता है। चंद्रमा प्रत्येक नक्षत्र में लगभग 27.3 दिन के चक्र में गोचर करता है, जिसके कारण पुष्य नक्षत्र हर 27-28 दिन बाद आता है। इसका समय कर्क राशि में 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होता है। सामान्यतः यह नक्षत्र एक दिन या उससे अधिक समय तक रह सकता है, जो स्थानीय समय और पंचांग के अनुसार भिन्न हो सकता है।

 उदाहरण के लिए, 2025 में पुष्य नक्षत्र की तारीखें पंचांग में देखी जा सकती हैं, जैसे कि 14 जनवरी 2025 को यह नक्षत्र स्नान-दान के लिए शुभ था। विशेष रूप से, जब यह नक्षत्र गुरुवार, रविवार या सोमवार को पड़ता है, तो यह गुरु पुष्य, रवि पुष्य या सोम पुष्य योग बनाता है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है।

समृद्धि और पोषण का प्रतीक है यह नक्षत्र

पुष्य नक्षत्र को "नक्षत्रों का राजा" कहा जाता है, क्योंकि यह शुभता, समृद्धि और पोषण का प्रतीक है। इसका नाम "पुष्य" का अर्थ है "पोषण करने वाला" या "शक्ति प्रदान करने वाला," और इसका प्रतीक चिह्न गाय का थन है, जो पृथ्वी का अमृत माना जाता है। पुष्य नक्षत्र को सभी शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, खरीदारी, और पूजा-पाठ के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दौरान सोना, चांदी, वाहन, संपत्ति, और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना शुभ और स्थायी समृद्धि देने वाला होता है। विशेष रूप से गुरु पुष्य योग में खरीदारी से माँ लक्ष्मी की कृपा और धन लाभ की संभावना बढ़ती है।

गाय के थन है इसका प्रतीक

ऋग्वेद में पुष्य को तिष्य अर्थात शुभ मांगलिक तारा कहते हैं। गाय को वैदिक काल से ही अति पूज्यनीय माना जाता है तथा गाय के दूध की तुलना वैदिक संस्कृति में अमृत के साथ की जाती थी। मान्यता के अनुसार गाय के थन को पुष्य नक्षत्र का प्रतीक चिन्ह माना गया है तथा ये प्रतीक चिन्ह भी हमें पुष्य नक्षत्र के स्वभाव के बारे में बहुत कुछ समझाता है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध जैसा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। इसलिए ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगल कर्ता, वृद्धि कर्ता और सुख समृद्धि देने वाला भी कहा गया है।  

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आध्यात्मिक उन्नति

इस नक्षत्र में पूजा, हवन, जप, ध्यान, और दान-पुण्य अत्यंत फलदायी होते हैं। गुरु मंत्र दीक्षा या धार्मिक अनुष्ठान करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। कार्तिक मास में पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि यह भगवान लक्ष्मी नारायण से संबंधित है।पुष्य नक्षत्र में खरीदारी या निवेश से दीर्घकालिक धन लाभ और स्वास्थ्य लाभ होता है। इस दौरान खरीदा गया सामान घर में बरकत लाता है।

पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग मेहनती, धार्मिक, और दूसरों की भलाई करने वाले होते हैं। वे परिश्रमी, बुद्धिमान, और संयमित स्वभाव के होते हैं, हालांकि कम उम्र में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।पुष्य नक्षत्र में शुभ कार्यों के लिए सही मुहूर्त का चयन करें, जैसे अभिजीत या ब्रह्म मुहूर्त।नक्षत्र का समय स्थानीय पंचांग के अनुसार सत्यापित करें।

क्या करना होता है शुभ

पुष्य नक्षत्र खरीदारी करने के लिए बहुत अच्छा माना गया है। पुष्य नक्षत्र में किए गए काम जल्दी ही सफल हो जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में प्रॉपर्टी, वाहन जैसी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना गया है इसके अलावा इस दिन मंदिर निर्माण, घर निर्माण आदि काम भी प्रारंभ करना शुभ हैं। पुष्य नक्षत्र में यदि आप किसी कंपनी के शेयर में निवेश करना चाहते हैं तो यह भी फायदेमंद हो सकता है। इस दिन सोना,चांदी, तांबा जैसी धातुओं की खरीदारी करने से सुख-समृद्धि और वैभव में वृद्धि होती है। वाहन, फर्नीचर, ज्वैलरी व अन्य घरेलू सामान की खरीदारी करना भी इस नक्षत्र में अति शुभ फलदायी होगा।
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