भगवान शिव की सोमवार को पूजा अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र मानी जाती है। शिव, जो सृष्टि के संहारक और कल्याणकारी दोनों हैं, भक्तों के लिए भोलेनाथ के रूप में अत्यंत दयालु और सहज प्रसन्न होने वाले देवता हैं। जाने उनकी पूजा विधि सरल होने के साथ-साथ श्रद्धा और भक्ति से परिपूर्ण होनी चाहिए। निम्नलिखित में भगवान शिव की पूजा की विधि और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय।
भगवान शिव की पूजा और उनके प्रति भक्ति से जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। उनकी पूजा में जटिलता की आवश्यकता नहीं, बल्कि सच्चे मन और श्रद्धा की जरूरत होती है। नियमित पूजा, मंत्र जाप, और सात्विक जीवनशैली अपनाकर भोलेनाथ को प्रसन्न किया जा सकता है। "ॐ नमः शिवाय" का जाप और बिल्वपत्र अर्पित करना ही उनके हृदय को स्पर्श करने के लिए पर्याप्त है।
भगवान शिव की पूजा की विधि
शिव की पूजा में भावना सबसे महत्वपूर्ण है। मन में कपट या अहंकार के बिना पूजा करें। नियमित रूप से शिव मंदिर में जाकर दर्शन करें और दीप जलाएं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, यह मंत्र शिव को अत्यंत प्रिय है। इसे 108 बार जपने से स्वास्थ्य, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक: शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना शिव को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी उपाय है। इसमें वेद मंत्रों के साथ जल, दूध, और अन्य सामग्री चढ़ाई जाती है।
सोमवार की व्रत कथा
सोमवार भगवान शिव का दिन है। इस दिन व्रत रखकर शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र चढ़ाएं। सायंकाल में शिव चालीसा या शिव सहस्रनाम का पाठ करें।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ: रावण द्वारा रचित यह स्तोत्र शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसे नियमित पढ़ने से शिव प्रसन्न होते हैं।
पवित्रता और सात्विक जीवन: शिव सत्य, साधना, और पवित्रता के प्रतीक हैं। मांस, मदिरा, और असत्य से दूर रहें। ध्यान और योग के माध्यम से मन को शुद्ध करें। शिव सभी प्राणियों के कल्याणकारी हैं। गरीबों की मदद करना, दान देना, और सभी के प्रति दया रखना शिव को प्रसन्न करता है।
भगवान शिव की पूजा विधि
आवश्यक सामग्री
शिवलिंग या शिव मूर्ति
स्वच्छ जल, दूध, दही, घी, शहद, चीनी (पंचामृत के लिए)
बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, अक्षत (चावल), चंदन, कुमकुम, फूल, जनेऊ
दीपक, धूप, कपूर
नैवेद्य (प्रसाद के लिए मिठाई, फल)
पूजा के लिए थाली, घंटी, और स्वच्छ वस्त्र
पूजा की तैयारी
स्नान और शुद्धता: प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल या स्वच्छ जल से शुद्ध करें।
पूजा स्थल की व्यवस्था: एक स्वच्छ चौकी पर शिवलिंग या मूर्ति स्थापित करें। चौकी पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं।
आसन और संकल्प:
पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
हाथ में जल, फूल, और अक्षत लेकर पूजा का संकल्प करें। उदाहरण: "मैं (अपना नाम) आज भगवान शिव की पूजा अपने और परिवार के कल्याण हेतु कर रहा/रही हूँ।
आह्वान और स्थापना:
शिवलिंग पर जल चढ़ाकर "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
शिव को आसन अर्पित करें और उनका आह्वान करें: "हे भगवान शिव, कृपया मेरे पूजा स्थल पर पधारें।"
अभिषेक: शिवलिंग पर सबसे पहले जल, फिर दूध, दही, घी, शहद, और चीनी (पंचामृत) चढ़ाएं। प्रत्येक सामग्री चढ़ाते समय "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।
अंत में पुनः जल से अभिषेक करें।
आभूषण और अलंकरण:
शिवलिंग पर चंदन, कुमकुम, और अक्षत अर्पित करें।
बिल्वपत्र (तीन पत्तियों वाला, उल्टा करके), धतूरा, और फूल चढ़ाएं।
जनेऊ और वस्त्र (सफेद या पीला) अर्पित करें।
धूप-दीप:
दीपक और धूप प्रज्वलित करें। कपूर से आरती करें।
"ॐ नमः शिवाय" या "शिव पंचाक्षर स्तोत्र" का पाठ करें।
नैवेद्य और प्रसाद:
मिठाई, फल, या खीर का भोग लगाएं।
भोग के बाद जल अर्पित करें।
प्रदक्षिणा और प्रार्थना:
शिवलिंग की तीन या सात बार प्रदक्षिणा करें।
अपनी मनोकामना और क्षमा याचना करें: "हे भोलेनाथ, मेरे अपराध क्षमा करें और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्त करें।"
विसर्जन: पूजा के अंत में शिव का ध्यान करें और उन्हें विदाई दें। प्रसाद को सभी में वितरित करें।
महत्वपूर्ण मंत्र
महामृत्युंजय मंत्र: "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।"
पंचाक्षर मंत्र: "ॐ नमः शिवाय"
शिव तांडव स्तोत्र: रावण रचित यह स्तोत्र शिव को अत्यंत प्रिय है।
पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें।
बिल्वपत्र को कभी तोड़कर नहीं चढ़ाएं; उसे स्वच्छ और ताजा रखें।
शिवलिंग पर चढ़ाया जल किसी पवित्र स्थान पर विसर्जित करें।
महिलाएं मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग को स्पर्श न करें, पर मंत्र जाप कर सकती हैं।