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Sankashti Ganesh chaturthi: समृद्धि और शांति के लिए करें गणपति की आराधना, जानें पूजा की विधि

मान्यता है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी के व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है, साथ ही वह अपनी सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है। यह दिन विशेष रूप से समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। 

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Mukesh Pandit
Sankasthi chaturthi
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संकष्टी गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश के प्रति श्रद्धा और भक्ति का एक विशेष दिन है, जो हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यता है कि संकष्टी गणेश चतुर्थी के व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है, साथ ही वह अपनी सभी समस्याओं से मुक्त हो जाता है। यह दिन विशेष रूप से समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। 2025 में यह पवित्र दिन 10 सितंबर को पड़ रहा है, जो हर भक्त के लिए एक आशीर्वाद का अवसर है।

संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की भक्ति का एक सुंदर अवसर है, जो जीवन की बाधाओं को दूर करने और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। इस दिन व्रत, पूजा, और कथा पाठ के साथ भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। 

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी, जिसे संकट हारा चतुर्थी भी कहा जाता है, भगवान गणेश को समर्पित एक पवित्र दिन है, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि, और सौभाग्य के देवता माने जाते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। प्रत्येक महीने की संकष्टी चतुर्थी का एक अलग नाम और कथा होती है, जो गणेश जी के विभिन्न रूपों और शक्तियों को दर्शाती है।

संकष्टी चतुर्थी कैसे मनाएं?

संकष्टी चतुर्थी का उत्सव भक्ति, व्रत, और पूजा के साथ किया जाता है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं। व्रत का पालन भक्तों की श्रद्धा के अनुसार पूर्ण (बिना भोजन) या आंशिक (फल, दूध, और सात्विक भोजन जैसे मूंगफली, आलू, साबूदाना) हो सकता है। पूजा शाम को चंद्रोदय के बाद की जाती है, और व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद तोड़ा जाता है।

पूजा की विधि

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सुबह जल्दी उठें, स्नान करें, और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।पूजा स्थल को साफ करें और एक लकड़ी के पटरे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।गणेश जी की मूर्ति या चित्र को गंगाजल छिड़ककर स्थापित करें।

पूजा सामग्री

दूर्वा घास, लाल या पीले फूल, मोदक, लड्डू, पान, सुपारी, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, नारियल, और दीपक। गणेश जी की पसंदीदा वस्तुएं जैसे केला और मीठा पान। दीपक जलाएं और गणेश जी को हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं। मूर्ति को फूल, दूर्वा घास, और माला अर्पित करें।"ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप करें। अन्य मंत्र जैसे 'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:' भी जपे जा सकते हैं।संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें, जो प्रत्येक महीने के लिए अलग होती है। गणेश आरती करें और भोग के रूप में मोदक या लड्डू अर्पित करें।

चंद्रोदय और व्रत समापन

चंद्रमा के उदय होने पर चंद्र को जल, चंदन, और फूल अर्पित करें।गणेश जी की आरती करें और फिर व्रत तोड़ें, आमतौर पर फल और सात्विक भोजन के साथ।पूजा के दौरान शुद्धता और भक्ति बनाए रखें।सामुदायिक भजनों या कीर्तन में भाग लें।पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें और मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करें।  hindu religion | Hindu Dharm Guru | Hindu Religious Practices | हिंदू धार्मिक अनुष्ठान | Hindu Religious Days  Sankashti Ganesh Chaturthi 2025 

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