Advertisment

Skanda Sashti 2025: जीवन में सुख-शांति व समृद्धि के लिए करें स्कंद षष्ठी व्रत, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

स्कंद षष्ठी 2025, जो 02 मई को मनाई जाएगी, भगवान कार्तिकेय के भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है। इस दिन बनने वाले शुभ योग और मुहूर्त इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। 

author-image
Mukesh Pandit
एडिट
स्कंद षष्ठी 2025
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Skanda Sashti 2025: हिंदू धर्म में स्कंद षष्ठी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान कार्तिकेय (जिन्हें स्कंद, मुरुगन, सुब्रह्मण्य, या कुमार के नाम से भी जाना जाता है) को समर्पित है। यह पर्व प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन वैशाख मास की स्कंद षष्ठी का विशेष महत्व है। वर्ष 2025 में यह पर्व 02 मई को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, 2 मई को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि शुरू होगी। वहीं, 3 मई को सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 2 मई को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।

Advertisment

धार्मिक आस्था को मजबूत करता है पर्व

स्कंद षष्ठी 2025, जो 02 मई को मनाई जाएगी, भगवान कार्तिकेय के भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है। इस दिन बनने वाले शुभ योग और मुहूर्त इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। व्रत और पूजा के माध्यम से भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को भी बढ़ावा देता है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से सभी भक्तों का जीवन मंगलमय हो। Hindu Religious Practices | hindu religion | hindi religious festion | हिंदू धार्मिक अनुष्ठान 

स्कंद षष्ठी का धार्मिक महत्व

Advertisment

स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है, जो भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध किया था, जिसके कारण उन्हें देवताओं का सेनापति नियुक्त किया गया। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति बनी रहती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी का व्रत रखने से नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है, और भक्तों को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान सुख, करियर में सफलता, या शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं। दक्षिण भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु में, इस पर्व को भगवान मुरुगन के भक्त बहुत श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

स्कंद षष्ठी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

Advertisment

दृक पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 02 मई 2025 को मनाई जाएगी। 
षष्ठी तिथि प्रारंभ: 01 मई 2025, रात 08:30 बजे (लगभग)
षष्ठी तिथि समाप्त: 02 मई 2025, रात 09:45 बजे (लगभग)
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:15 बजे से 05:00 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:50 बजे से 12:40 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 बजे से 03:20 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:45 बजे से 07:10 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात 11:55 बजे से 12:40 बजे तक
राहुकाल (अशुभ समय): दोपहर 03:00 बजे से 04:30 बजे तक (इस समय पूजा से बचें)
इन मुहूर्तों में पूजा और व्रत के संकल्प के लिए ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।

स्कंद षष्ठी के दिन बनने वाले योग

02 मई 2025 को स्कंद षष्ठी के दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ाते हैं। 

Advertisment

सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग सुबह 05:45 बजे से अगले दिन सुबह तक रहेगा। इस योग में शुरू किए गए कार्यों में सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

रवि योग: यह योग सुबह 07:00 बजे से रात 10:00 बजे तक रहेगा। रवि योग में पूजा और मांगलिक कार्य करना अत्यंत फलदायी होता है।

साध्य योग: यह योग दिन के कुछ समय के लिए बनेगा, जो आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
इन योगों के संयोजन से स्कंद षष्ठी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है, और इस दिन किए गए कार्यों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

स्कंद षष्ठी का व्रत और पूजा विधि निम्नलिखित है:

प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मंदिर की सफाई: घर के मंदिर को साफ करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

संकल्प: भगवान कार्तिकेय का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
पूजा की तैयारी: एक चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान स्कंद की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
अभिषेक: भगवान कार्तिकेय का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें।
शृंगार: मूर्ति को चंदन, हल्दी, और कुमकुम का तिलक लगाएं। फूलों की माला अर्पित करें।
दीप-धूप: घी का दीपक और धूप जलाएं।
भोग: भगवान को फल, मिठाई, और अन्य नैवेद्य अर्पित करें।

मंत्र जाप: 
शत्रु नाशक मंत्र : ॐ शारवाना-भावाया नमः
कार्तिकेय गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात्

सफलता हेतु मंत्र: आरमुखा ओम मुरूगावेल वेल मुरूगा मुरूगावा वा मुरूगा
आरती: भगवान कार्तिकेय की आरती करें और शंखनाद करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद को परिवार और जरूरतमंदों में वितरित करें।
व्रत का पारण: अगले दिन सुबह उदया तिथि के अनुसार व्रत का पारण करें।

स्कंद षष्ठी से जुड़ी मान्यताएं

संतान सुख: ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है।
शत्रु नाश: भगवान कार्तिकेय की पूजा से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
करियर में सफलता: यह व्रत उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अपने करियर में उन्नति चाहते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति: स्कंद षष्ठी का व्रत और मंत्र जाप करने से आध्यात्मिक शक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

स्कंद षष्ठी का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

स्कंद षष्ठी न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व परिवार और समुदाय को एक साथ लाता है। दक्षिण भारत में इस दिन मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, और भक्त भगवान मुरुगन के दर्शन के लिए लंबी यात्राएं करते हैं। यह पर्व हिंदू संस्कृति में एकता, श्रद्धा, और परंपराओं को मजबूत करता है।

 

हिंदू धार्मिक अनुष्ठान hindi religious festion hindu religion Hindu Religious Practices
Advertisment
Advertisment