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विनायक चतुर्थी: सुख, समृद्धि और बाधाओं से मुक्ति के लिए करें गणपति व्रत, जानें पूजा विधि और मंत्र

विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, जो 1 मई 2025 को पड़ रही है, विशेष रूप से शुभ मानी जाती है।

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Mukesh Pandit
Vinayak Chaturthi varat
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विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, जो 1 मई 2025 को पड़ रही है, विशेष रूप से शुभ मानी जाती है। इस दिन भगवान गणेश, जो विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता हैं, की पूजा-अर्चना की जाती है। यह व्रत भक्तों को सुख, समृद्धि, और बाधाओं से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। इस लेख में हम विनायक चतुर्थी व्रत के महत्व, उपाय, पूजा विधि, और मंत्रों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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विनायक चतुर्थी का महत्व

विनायक चतुर्थी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश सभी शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले पूजे जाते हैं। गणेश पुराण में उल्लेख है कि चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है। वैशाख मास की विनायक चतुर्थी विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वसंत ऋतु के मध्य में पड़ती है, जो नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। 

ज्योतिषचार्य पं. अरुण प्रकाश शर्मा के अनुसार, इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों के जीवन से आर्थिक संकट, मानसिक तनाव, और अन्य बाधाएं दूर होती हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से गणपति की आराधना करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि, और बुद्धि-ज्ञान की प्राप्ति के लिए भी किया जाता है। वैशाख मास की चतुर्थी पर गणेश जी की कृपा से भक्तों को धन-वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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विनायक चतुर्थी व्रत के उपाय

विनायक चतुर्थी के दिन कुछ विशेष उपाय करने से भगवान गणेश की कृपा और अधिक प्राप्त होती है। 

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ: आर्थिक तंगी से मुक्ति के लिए इस दिन गणेश जी के समक्ष ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें। यह उपाय धन संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
चौमुखी दीपक जलाएं: जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश जी के सामने देसी घी का चौमुखी दीपक जलाएं। यह उपाय विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।
लड्डुओं का भोग: अपनी उम्र के बराबर बेसन के लड्डू गणेश जी को अर्पित करें। प्रत्येक लड्डू के साथ "गं" मंत्र का जाप करें। पूजा के बाद एक लड्डू स्वयं खाएं और बाकी प्रसाद के रूप में बांट दें।
दूर्वा की माला: गणेश जी को 21 दूर्वा की माला अर्पित करें। दूर्वा गणपति को अत्यंत प्रिय है और यह उपाय बाधाओं को दूर करने में सहायक है।

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राशि अनुसार उपाय:

मेष: गंगाजल से गणेश जी का अभिषेक करें और लाल चंदन अर्पित करें।
वृषभ: "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
कर्क: दूर्वा घास चढ़ाएं।

पूजा विधि

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि विधिवत और श्रद्धापूर्ण होनी चाहिए। प्रातःकाल स्नान: सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले पानी से स्नान करें। साफ और शुद्ध वस्त्र धारण करें, अधिमानतः लाल या पीले रंग के।पूजा स्थल की तैयारी: एक स्वच्छ चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।मूर्ति का अभिषेक: गंगाजल से गणेश जी की मूर्ति को शुद्ध करें। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, और शक्कर का मिश्रण) से अभिषेक करें।गणेश जी को रोली, चंदन, अक्षत, लाल फूल (विशेष रूप से गुलाब या गुड़हल), सिंदूर, और 21 दूर्वा अर्पित करें। जटा वाला नारियल और मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

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मंत्र जाप: निम्नलिखित मंत्रों का 108 बार जाप करें:
ॐ गं गणपतये नमः
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

कथा और आरती: 

विनायक चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें। इसके बाद गणेश चालीसा और आरती करें। पूजा के अंत में प्रसाद वितरित करें।
चंद्र दर्शन: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें, लेकिन कुछ पंचांगों के अनुसार इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित हो सकता है, इसलिए स्थानीय पंडित से सलाह लें।
व्रत पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद सात्विक भोजन ग्रहण कर व्रत का पारण करें।

विनायक चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप विशेष रूप से फलदायी होता है:

ॐ गं गणपतये नमः: यह गणेश जी का मूल मंत्र है, जो सभी कार्यों में सफलता दिलाता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।: यह मंत्र बाधाओं को दूर करने के लिए प्रभावी है।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्: गणेश गायत्री मंत्र, जो बुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति के लिए जप किया जाता है।
ॐ सिद्धिविनायकाय नमः: यह मंत्र सिद्धि और समृद्धि के लिए जप किया जाता है।

व्रत कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती और भगवान शिव नर्मदा नदी के तट पर चौपड़ खेल रहे थे। खेल में विजेता का निर्णय करने के लिए शिवजी ने एक पुतले को जीवित किया। खेल के अंत में पुतले ने शिवजी को विजेता घोषित किया, जबकि पार्वती जी जीती थीं। क्रोधित होकर पार्वती ने पुतले को अपाहिज होने का शाप दिया। पुतले ने क्षमा मांगी, और पार्वती ने उसे गणेश व्रत करने का उपाय बताया। पुतले ने 21 दिन तक गणेश व्रत किया और शाप से मुक्ति पाई। तभी से यह व्रत मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना जाता है। गणपति बप्पा की कृपा से सभी बाधाएं दूर हों और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति हो।

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