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Hanuman Janmotsav कब है, बजरंगी बली की पूजा-अर्चना करने से मिलती है संकटों से मुक्ति

हनुमान जयंती के दिन भगवान बजरंगबली की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कि दिन दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं। जानें इस दिनें क्या करें और क्या नहीं...

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Mukesh Pandit
Hanuman Janmotsav
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हनुमान जन्मोत्सव हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान हनुमान के जन्म का उत्सव मनाता है। यह पर्व मुख्य रूप से चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अप्रैल के महीने में पड़ता है। इस साल हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल 2015 को शनिवार को है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में इसे कार्तिक मास या वैशाख मास में भी मनाने की परंपरा है, लेकिन सबसे व्यापक रूप से चैत्र पूर्णिमा पर ही यह उत्सव होता है। हनुमान जी को भक्ति, शक्ति, और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन उनके भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।

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हनुमान जन्मोत्सव का महत्व

हनुमान जन्मोत्सव भगवान हनुमान के जन्म की खुशी में मनाया जाता है, जो रामायण में भगवान राम के परम भक्त और सहायक के रूप में प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में हुआ था, और वे अंजना और केसरी के पुत्र थे। उन्हें वायु देवता का आशीर्वाद प्राप्त था, जिसके कारण उन्हें "पवनपुत्र" भी कहा जाता है। यह पर्व भक्तों को उनकी शक्ति, बुद्धि, और समर्पण से प्रेरणा लेने का अवसर देता है। इस दिन लोग संकटों से मुक्ति, शारीरिक और मानसिक बल प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं।

इस दिन क्या करना चाहिए

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हनुमान जन्मोत्सव के दिन कुछ विशेष कार्य करने की परंपरा है, जो भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाते हैं : प्रातः स्नान और शुद्धता : सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यह दिन शुद्धता और पवित्रता के साथ शुरू करना चाहिए।  hindu religion | hindi religious festion | Hindu Religious Practices not present in content

हनुमान मंदिर दर्शन : यदि संभव हो तो हनुमान मंदिर जाएं और वहां उनकी मूर्ति के दर्शन करें। मंदिर में पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है।
हनुमान चालीसा पाठ: हनुमान चालीसा का पाठ इस दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इसे 11, 21 या 108 बार पढ़ने की परंपरा है, जो भक्त की श्रद्धा पर निर्भर करता है।
रामायण या सुंदरकांड का पाठ: हनुमान जी भगवान राम के परम भक्त थे, इसलिए इस दिन रामायण या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है।
दान और सेवा: गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करना चाहिए। हनुमान जी को सेवा और परोपकार प्रिय है।
व्रत: कई भक्त इस दिन उपवास रखते हैं। व्रत में फल, दूध, और सात्विक भोजन ग्रहण किया जा सकता है।
सिंदूर और तेल चढ़ाएं: हनुमान जी को चमेली का तेल और सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है। यह उनकी शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
क्या नहीं करना चाहिए
हनुमान जन्मोत्सव के दिन कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि पूजा का फल प्राप्त हो और कोई अनादर न हो:
अशुद्धता: पूजा के दौरान शारीरिक और मानसिक अशुद्धता से बचें। बिना स्नान किए पूजा न करें।
नकारात्मक विचार: इस दिन मन में नकारात्मकता या शत्रुता नहीं लानी चाहिए। हनुमान जी की भक्ति में शांति और समर्पण जरूरी है।
अनावश्यक खर्च: इस दिन फिजूलखर्ची से बचना चाहिए और धन का उपयोग दान-पुण्य में करना उचित है।

हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि 

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संकल्प: सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल पर बैठें और हनुमान जी की पूजा का संकल्प लें। हाथ में जल लेकर प्रण करें कि आप यह पूजा श्रद्धा और भक्ति से करेंगे।
पूजा सामग्री: पूजा के लिए हनुमान जी की मूर्ति या चित्र, लाल या पीले फूल, सिंदूर, चमेली का तेल, लड्डू या गुड़-चने का प्रसाद, धूप, दीप, और कपूर तैयार करें।
स्थान शुद्धिकरण : पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें और चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उस पर हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
आह्वान और पूजन : हनुमान जी का ध्यान करें और उनका आह्वान करें। उन्हें फूल, सिंदूर, और तेल अर्पित करें। दीप और धूप जलाएं।

मंत्र जाप: 

"ॐ हं हनुमते नमः" या "ॐ श्री हनुमते नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। माला का उपयोग कर सकते हैं।

प्रसाद: पूजा के बाद लड्डू, गुड़-चना या फल का प्रसाद चढ़ाएं और उसे भक्तों में बांटें।

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आरती: अंत में हनुमान जी की आरती करें और उनसे अपने संकट दूर करने की प्रार्थना करें।

हनुमान जन्मोत्सव एक ऐसा पर्व है जो भक्तों को शक्ति, साहस और भक्ति का संदेश देता है। यह दिन हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने और उनके गुणों को आत्मसात करने का अवसर है। पूजा के दौरान विधि-विधान का पालन करने के साथ-साथ मन की शुद्धता और भक्ति का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन किए गए कार्य न केवल आत्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी लाते हैं। हनुमान जी की कृपा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें बल, बुद्धि, और समृद्धि प्राप्त होती है।

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