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नई दिल्ली,वाईबीएन डेस्क।नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत देश के कई विश्वविद्यालयों में चार साल का स्नातक कार्यक्रम लागू किया गया है। इसी नीति के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी डिग्री या सर्टिफिकेट प्राप्त करने का विकल्प शुरू किया है, जिसे "Exit Option" कहा जाता है। इस विकल्प के अनुसार, यदि कोई छात्र तीन साल यानी छह सेमेस्टर पूरे कर लेता है और किसी कारणवश आगे पढ़ाई जारी नहीं रखना चाहता, तो वह इस प्रोग्राम से बाहर निकल सकता है। यदि छात्र ने मल्टी-डिसिप्लिनरी यानी कई विषयों को मिलाकर पढ़ाई की है, तो उसे तीन साल की डिग्री दी जाएगी, जबकि यदि छात्र ने केवल एक मुख्य विषय में पढ़ाई की है तो उसे ऑनर्स डिग्री मिलेगी। इसके लिए छात्र को दिल्ली विश्वविद्यालय के स्टूडेंट पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होता है।
चार साल के बाद मिलेगी ऑनर्स की डिग्री
यदि छात्र पूरे चार साल की पढ़ाई पूरी करता है, तो उसे ऑनर्स डिग्री प्राप्त होती है, साथ ही रिसर्च, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग या स्पेशल प्रोजेक्ट का मौका भी मिलता है, जो मास्टर्स या नौकरी में आगे लाभदायक होता है। विश्वविद्यालय ने छात्रों को सलाह दी है कि वे अपने शैक्षणिक और कैरियर लक्ष्यों का ध्यानपूर्वक मूल्यांकन करें और बाहर निकलने का विकल्प चुनने से पहले शिक्षकों या मार्गदर्शकों से परामर्श अवश्य लें।
कोर्स छोड़ने से पहले करें विचार
दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों को यह भी सुझाव दिया है कि वे किसी भी कोर्स को बीच में छोड़ने से पहले पूरी सोच-विचार करें, अपने करियर और भविष्य की योजना पर ध्यान दें, और अपने कॉलेज या यूनिवर्सिटी के शिक्षक या करियर काउंसलर से सलाह लें। यह सिस्टम इसलिए बनाया गया है ताकि यदि किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़े, तो छात्रों के पास कम से कम सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री का विकल्प मौजूद हो।
पढ़ाई पूरी करने की अवधि और मिलने वाली योग्यता इस प्रकार है: एक वर्ष (दो सेमेस्टर) पढ़ाई पूरी करने पर "सर्टिफिकेट" मिलता है, दो वर्ष (चार सेमेस्टर) पर "डिप्लोमा", तीन वर्ष (छह सेमेस्टर) पर "डिग्री" मिलती है, और चार वर्ष (आठ सेमेस्टर) की पूरी पढ़ाई करने पर ऑनर्स डिग्री के साथ रिसर्च या प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी मिलती है।