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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। केंद्र सरकार ने स्कूल स्तर से ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक खास कदम उठाया है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय ने स्कूली छात्रों और शिक्षकों के लिए “स्किलिंग फॉर एआई रेडीनेस” (SOAR) नाम से एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। मंगलवार को इस डिजिटल ट्रेनिंग कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को कौशल सीखने को विकल्प नहीं बल्कि प्राथमिकता बनानी चाहिए। यह कार्यक्रम नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (NCVET) ने तैयार किया है। इसका मकसद सभी छात्रों को एआई की समझ और कौशल देना है ताकि वे भविष्य में तकनीकी दुनिया की चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकें। मंत्रालय का मानना है कि अगर स्कूली स्तर से ही एआई की शिक्षा दी जाए तो आने वाली पीढ़ी के लिए यह कोई मुश्किल नहीं, बल्कि एक बड़ा अवसर होगा।
इन प्रोग्राम की होगी पढ़ाई
SOAR कार्यक्रम में चार ऑनलाइन ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाए गए हैं। छात्रों के लिए तीन पाठ्यक्रम हैं, जिनमें प्रत्येक 15-15 घंटे का है — AI to Be Aware, AI to Acquire और AI to Aspire। वहीं, शिक्षकों के लिए एक 45 घंटे का विशेष कोर्स AI for Educators उपलब्ध है। सभी मॉड्यूल डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। छात्र स्किल इंडिया डिजिटल हब पोर्टल पर जाकर पंजीकरण कर सकते हैं। इसके लिए उनकी अपार आईडी (APAR ID) भी जरूरी होगी, जो उनकी शैक्षिक जानकारी रखती है। लॉगिन के बाद वे ट्रेनिंग शुरू कर सकते हैं और पूरा करने के बाद ऑनलाइन आकलन होगा जिससे उनके कौशल का मूल्यांकन किया जाएगा।
छात्रों और शिक्षकों को मिलेंगे अंक
प्रशिक्षण पूरा करने पर छात्रों को एक मॉड्यूल के लिए 0.5 अकादमिक क्रेडिट अंक मिलेंगे, जबकि शिक्षकों को 45 घंटे की ट्रेनिंग पूरी करने पर 1.5 क्रेडिट अंक दिए जाएंगे। यह अंक उनके अकादमिक और पेशेवर विकास में मददगार होंगे। इस अवसर पर अन्य कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी हुईं। केंद्रीय वाणिज्य एवं व्यापार राज्य मंत्री जितिन प्रसाद, शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार और सचिव रजित पुन्हानी ने इंडिया स्किल्स-2025 की नई गाइडलाइन, एनसीवीईटी डिजिटल एंटरप्राइज पोर्टल समेत अन्य कई रिपोर्टों और गाइडलाइनों का विमोचन किया। साथ ही, भारत में फ्रांस के राजदूत के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए गए, जिससे दोनों देशों के बीच कौशल विकास में सहयोग बढ़ेगा। यह पहल भारत के युवाओं को तकनीक से जोड़ने और उन्हें भविष्य की नई दुनिया के लिए तैयार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।