राजस्थान, वाईबीएन नेटवर्क।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने PhD प्रोग्राम में हेरफेर करने वाली तीन यूनिवर्सिटीज पर बड़ी कार्रवाई कर दी है। ये तीनों यूनिवर्सिटीज राजस्थान की है। तीनों यूनिवर्सिटी को अगले पांच साल के लिए पीएचडी कोर्सेज में एडमिशन करने से रोक दिया गया है। ये सभी यूनिवर्सिटीज 2025 से 2030 तक पीएचडी एडमिशन्स नहीं ले पाएंगी। इन सभी यूनिवर्सिटीज को 2025-26 से लेकर 2029-30 तक के सेशन में पीएचडी में रजिस्ट्रेशन करने की अनुमति नहीं मिलेगी। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार का कहना है कि यूनिवर्सिटीज की यह जिम्मेदारी होती है कि पीएचडी समेत सभी प्रोग्राम में हाई स्टैंडर्ड्स को बनाए रखें। वहीं यूजीसी पीएचडी नियमों को नहीं मानने वाली और भी यूनिवर्सिटीज के खिलाफ एक्शन जारी रहेगा।
तीस से ज्यादा यूनिवर्सिटीज पर जांच
यूजीसी अभी भी 30 और यूनिवर्सिटीज के डेटा की जांच कर रहा है। ये भी हो सकता है कि आने वाले समय में कुछ और यूनिवर्सिटीज पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाए। यूजीसी अध्यक्ष प्रोफेसर ममीडाला जगदीश कुमार का कहना है कि कुछ अन्य यूनिवर्सिटीज में पीएचडी प्रोग्राम की क्वॉलिटी की जांच हो रही है। अगर वे पीएचडी नियमों का उल्लंघन करते पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी जल्द कार्रवाई की जाएगी। प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि नियमों को नहीं मानने वाले संस्थानों की पहचान करना और उन्हें पीएचडी एडमिशन से रोकना बहुत जरूरी है।
इन तीन यूनिवर्सिटीज पर गिरी गाज
राजस्थान की चुरू स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी, अलवर की सनराइज यूनिवर्सिटी और झुंझुनू की सिंघानिया यूनिवर्सिटी पर एक्शन लिया गया है। यूजीसी द्वारा जारी नए दिशा-निर्देश के बाद राजस्थान की ये तीनों यूनिवर्सिटीज किसी भी नए स्टूडेंट का नामांकन नहीं कर सकेंगी। यूजीसी ने छात्रों और अभिभावकों से भी खास तौर पर अपील की है कि वह इन तीनों यूनिवर्सिटीज में पीएचडी के लिए रजिस्ट्रेशन न करवाएं। इन सभी यूनिवर्सिटीज में आने वाले सेशन 2025-26 से लेकर 2029-30 तक के सेशन में पीएचडी एडमिशन पर पाबंदी रहेगी। अगर पाबंदी के बाद भी कोई छात्र इन यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेता है, तो फिर उसकी डिग्री वैलिड नहीं मानी जाएगी।