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ओ हमारे वज्र-दुर्दम', पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता से Big B ने जवानों में भरा जोश

अमिताभ बच्चन ने अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की वीर रस से भरी कविताओं के जरिए भारतीय जवानों का मनोबल बढ़ाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक प्रेरक पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि भारत के सैनिकों को अब शब्दों की नहीं, बल्कि उनके कार्यों की आवाज से जवाब देना चाहिए।

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Ranjana Sharma
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मुंबई,आईएएनएसमेगास्टार अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। उन्होंने अपने लेटेस्ट पोस्ट में पिता हरिवंश राय बच्चन की एक कविता को शेयर किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि अपने कामों से ऐसा असर पैदा करो कि दुश्मन को उत्तर मिल जाए और शब्दों की जरूरत ही न पड़े। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों का भी आभार जताया। बिग बी ने लिखा, 'ओ हमारे वज्र-दुर्दम देश के विक्षुब्ध-क्रोधातुर जवानों, किटकिटाकर आज अपने वज्र के-से दांत भींचो, खड़े हो, आगे बढ़ो, ऊपर चढ़ो, बे-कंठ खोले, बोलना हो तो तुम्हारे हाथ की दो चोटें बोलें।

अभ‍िताभ ने प‍िता को किया याद

अमिताभ बच्चन ने लिखा, ''और, पूज्य बाबूजी के शब्द गूंज रहे हैं... जोर से और स्पष्ट... और प्रतिध्वनि के रूप में... देश के हर हिस्से से... हर कोने से... देश के आक्रोशित और समर्पित जवानों... उठो और आगे बढ़ो... बिना कोई आवाज दिए... अगर बोलना ही है... तो दुश्मन के मुंह पर तुम्हारे थप्पड़ की आवाज सुनाई दे। उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा, ''शांति में मनुष्य के लिए कुछ भी नहीं है, जैसे संयमित स्थिरता और विनम्रता, लेकिन जब युद्ध का धमाका हमारे कानों में गूंजता है, तब बाघ की हरकतों की नकल करो। इस सुंदर प्रकृति को अपने क्रोध से छिपाओ, फिर आंख को एक भयानक रूप दो, जो ब्रह्मोस और आकाश तीर की तरह सिर के द्वार को भेद डालें। इसे खुद पर हावी होने दो, जैसे एक क्षत-विक्षत चट्टान, जो समुद्र के साथ बहती है। आगे, आगे, आप 'सम्माननीय भारत के वीर नारे', जिसका खून युद्धरोधी के पिताओं से मिला है और तुम, बहादुर वीर जवानों, जिनके अंग भारत माता की मिट्टी से बने हैं, दिखाओ तुम्हारी शारीरिक शक्ति की ताकत।

पहलगाम पर भी लिखा

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एक्टर ने अंत में लिखा, ''बोलें, भयभीत करने वाली, युद्ध का नारा, स्वयं से पहले सेवा... जय हिंद, भारत माता की जय, वंदे मातरम। हाल ही में अमिताभ ने पहलगाम हमले में आतंकवादियों के धर्म पूछकर गोली मारने की घटना का जिक्र करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा था, ''छुट्टियां मनाते हुए, उस राक्षस ने, निर्दोष पति-पत्नी को बाहर खींच कर, पति को नग्न कर, उसके धर्म की पूर्ति करने के बाद, उसे जब गोली मारने लगा, तो पत्नी ने घुटने पर गिरकर, रो-रोकर अनुरोध करने के बाद भी, कि 'उसके पति को न मारो', उसके पति को उस बुजदिल राक्षस ने बेहद बेरहमी से गोली मार दी...। जब पत्नी ने कहा, 'मुझे भी मार दो', तो राक्षस ने कहा 'नहीं... तू जाकर… को बता।

हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का भी जिक्र किया

अमिताभ ने पोस्ट में आगे अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की पंक्तियों का भी जिक्र किया और लिखा, ''बेटी की मनःस्थिति पर पूज्य बाबूजी की एक कविता की पंक्ति याद आई... मानो वो बेटी… के पास गई और कहा, 'है चिता की राख कर में मांगती सिंदूर दुनिया' (बाबूजी की पंक्ति) तो '….' ने दे दिया सिंदूर... ऑपरेशन सिंदूर'... जय हिंद, जय हिंद की सेना, तू न थमेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, तू न झुकेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ! अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!!!''

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