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शिक्षक दिवस पर फिल्मी सफर : जब बॉलीवुड ने दिखाया गुरु-शिष्य का अनमोल रिश्ता

बॉलीवुड ने भी कई बार बड़े पर्दे पर शिक्षक और छात्र के रिश्ते को बेहद खूबसूरती से पेश किया है। इन फिल्मों में भावनाओं, प्रेरणा और रिश्तों की गहराई को दर्शाया गया है।

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YBN News
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FilmTeacherDay Photograph: (ians)

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मुंबई। हर साल 5 सितंबर को पूरे देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन न सिर्फ डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के रूप में याद किया जाता है, बल्कि शिक्षकों की समाज में अहम भूमिका को सम्मान देने का अवसर भी है। शिक्षक केवल किताबों का ज्ञान नहीं देते, बल्कि वे हमें जीवन जीने की कला और असल मायने भी सिखाते हैं।

बॉलीवुड ने भी कई बार बड़े पर्दे पर शिक्षक और छात्र के रिश्ते को बेहद खूबसूरती से पेश किया है। इन फिल्मों में भावनाओं, प्रेरणा और रिश्तों की गहराई को दर्शाया गया है। शिक्षक दिवस पर ये फिल्में हमें याद दिलाती हैं कि एक अच्छा गुरु सिर्फ पढ़ाई नहीं कराता, बल्कि जीवन की दिशा भी तय करता है।

तारे ज़मीन पर (2007):

Tarejamipar
Tarejamipar Photograph: (ians)

यह फिल्म एक ऐसे शिक्षक की कहानी है जो एक डिस्लेक्सिक बच्चे को उसकी समस्या से उबरने में मदद करता है और उसकी छिपी प्रतिभा को उजागर करता है। आमिर खान और दर्शील सफारी अभिनीत इस फिल्म ने दिखाया कि एक सच्चा शिक्षक बच्चे की क्षमता को पहचानकर उसे सही राह दिखा सकता है। 'तारे जमीन पर' एक ऐसी फिल्म है जिसे देखकर शायद ही किसी की आंखें नम न हुई हों। इस फिल्म में एक टीचर, ईशान नाम के बच्चे की जिंदगी को एक नया मोड़ देता है, जो पढ़ाई में कमजोर समझा जाता है लेकिन असल में एक कलाकार होता है। आमिर खान ने फिल्म में ऐसे टीचर का किरदार निभाया है, जो बच्चों की कमजोरी नहीं, बल्कि उनकी खासियत की पहचान करता है। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म सिखाती है कि एक अच्छा गुरु हर बच्चे में छिपे हुए टैलेंट को पहचानता है और उसे उड़ान देता है।

ब्लैक (2005):

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यह फिल्म एक अंधी और बहरी लड़की और उसके शिक्षक के बीच के असाधारण रिश्ते को दिखाती है, जो उसे जीवन जीने की कला सिखाता है। अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी की यह फिल्म गुरु-शिष्य के रिश्ते को नई ऊंचाई देती है, जहां शिक्षक अपने छात्र को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। 

चक दे! इंडिया (2007) –

शाहरुख खान का कोच अवतार खेल के जरिए अनुशासन, मेहनत और टीमवर्क सिखाने वाला यादगार उदाहरण है।

हिचकी (2018):

एक ऐसी शिक्षिका की कहानी जो टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित है, और किस तरह वह अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाकर गरीब बच्चों को शिक्षा देती है। रानी मुखर्जी की यह फिल्म बताती है कि शिक्षक अपनी चुनौतियों को पार कर भी विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। यह फिल्म समाज की बनी-बनाई धारणाओं को तोड़ती है। रानी मुखर्जी द्वारा निभाए गए टीचर के किरदार को टॉरेट सिंड्रोम नाम की बीमारी होती है, लेकिन वह हार नहीं मानती और समाज के सबसे कमजोर समझे जाने वाले बच्चों को पढ़ाकर यह साबित करती है कि एक सच्चा शिक्षक कभी हालातों से नहीं डरता। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म बताती है कि एक गुरु न सिर्फ ज्ञान देता है, बल्कि प्रेरणा भी देता है।

3 इडियट्स (2009) -

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threeediyat
threeediyat Photograph: (ians)

इस फिल्म में शिक्षा प्रणाली और शिक्षक-छात्र के रिश्तों पर गहन सवाल उठाए गए, साथ ही सीखने का असली मतलब बताया गया। इस फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षा का असली मकसद रट्टा मारना नहीं, बल्कि समझना और अपने पैशन को फॉलो करना है। शिक्षक के किरदार में बोमन ईरानी और छात्रों के बीच का रिश्ता यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारा एजुकेशन सिस्टम वाकई छात्रों को सोचने और अपने अंदर की कला को खोजने की आजादी देता है।

सुपर 30 (2019)-

यह फिल्म आनंद कुमार नामक एक शिक्षक की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो गरीब छात्रों को आईआईटी-जेईई की प्रवेश परीक्षा के लिए मुफ्त में कोचिंग देते हैं। ये फिल्म असल जीवन से प्रेरित फिल्म है जो आनंद कुमार नामक शिक्षक की कहानी बताती है। वह ऐसे गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं जो पैसों की कमी के कारण अच्छे स्कूलों में नहीं पढ़ पाते। यह फिल्म एक शिक्षक की समाज के प्रति जिम्मेदारी और बदलाव लाने की उनकी क्षमता को दिखाती है। शिक्षक दिवस पर यह फिल्म बताती है कि एक टीचर समाज की तस्वीर बदल सकता है।

छिछोरे- 

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यह फिल्म देखने पर शुरू में ऐसा लगता है कि ये सिर्फ दोस्ती और कॉलेज की मस्ती पर बनी है, लेकिन इसमें कई जगह ऐसे पल आते हैं जो शिक्षक और छात्रों के रिश्ते की अहमियत को उजागर करते हैं। यह फिल्म बताती है कि जीवन सिर्फ नंबरों से नहीं चलता, बल्कि आत्मविश्वास, समर्थन और सही सोच से ही असली सफलता मिलती है। इसमें दिखाया गया है कि सही समय पर दी गई सीख जीवन को बदल सकती है।

(इनपुट-आईएएनएस)

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