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Film Review: आयुष्मान-रश्मिका की 'थामा' में हॉरर और रोमांस का अनोखा संगम

मल्टीस्टारर फिल्म 'थामा' बड़े पर्दे पर दर्शकों को एक अनोखा अनुभव दे रही है। यह फिल्म लोककथाओं, पारिवारिक भावनाओं, कल्पना और मनोरंजन का ऐसा मेल है, जो भारतीय हॉरर फिल्मों की परंपरा को नए आयाम पर ले जाता है।

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YBN News
FilmThama

FilmThama Photograph: (ians)

निर्देशक: आदित्य सरपोतदार,

लेखक: नीरेन भट्ट, सुरेश मैथ्यू और अरुण फलारा,

कलाकार: आयुष्मान खुराना, रश्मिका मंदाना, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, परेश रावल, सत्यराज, फैसल मलिक, गीता अग्रवाल, रचित सिंह,

अवधि: 149 मिनट,

रेटिंग: 4 स्टार 

एक अनोखा अनुभव

मल्टीस्टारर फिल्म 'थामा' बड़े पर्दे पर दर्शकों को एक अनोखा अनुभव दे रही है। यह फिल्म लोककथाओं, पारिवारिक भावनाओं, कल्पना और मनोरंजन का ऐसा मेल है, जो भारतीय हॉरर फिल्मों की परंपरा को नए आयाम पर ले जाता है। निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने मैडॉक हॉरर-वर्स की इस नई कड़ी के साथ भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी है।

मैडॉक हॉरर फ्रैंचाइजी की पिछली फिल्मों 'स्त्री' और 'भेड़िया' की तरह, 'थामा' भी अपनी अलग पहचान बनाती है। अगर पिछली फिल्मों में डर और जंगल की रहस्यमय दुनिया थी, तो इस बार फिल्म ने हॉरर को प्रेम और मानवता के साथ जोड़कर एक बिल्कुल नया अनुभव पेश किया है। यह फिल्म डरावनी तो है ही, लेकिन उससे कहीं ज्यादा दिल को छूने वाली और सोचने पर मजबूर कर देने वाली है।

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फिल्म की कहानी

फिल्म की कहानी एक रहस्यमय जंगल के आसपास घूमती है, जहां अतीत आज भी जिंदा है और प्राचीन रक्षक अभी भी जाग रहे हैं। इस जंगल में समय और इतिहास का एहसास अभी भी मौजूद है, और इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी बुनी गई है। 'थामा' में एक ऐसी दुनिया दिखाई गई है, जो अपने नियम, अपने श्राप और परिणामों के साथ पूरी तरह से एक विचित्र काल्पनिक ब्रह्मांड है।

यह हॉरर-थ्रिलर फिल्मों से अलग है क्योंकि यह इमोशनल कॉमेडी की तरह काम करती है, जिसमें हंसी और प्यार के साथ-साथ वह मानवीय भावना है जो हमें अपने प्रियजनों को बचाने के लिए कुछ भी करने पर मजबूर कर देती है। फिल्म डराने की बजाए विश्वास पर ज्यादा जोर देती है और इसका हास्य भी मजेदार और सही मात्रा में है।

फिल्म का मुख्य किरदार

फिल्म का मुख्य किरदार एक छोटे शहर का पत्रकार है, जिसे आयुष्मान खुराना ने निभाया है। एक अनजाने में हुई सुपरनैचुरल घटना से कहानी शुरू होती है, जो खुराना के किरदार के जीवन में कई अनपेक्षित घटनाओं का कारण बनती है। फिल्म के पहले भाग में वह सरल और बेहद जुड़ने वाला पात्र लगता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उसका किरदार गहराता और अधिक गंभीर होता जाता है।

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वहीं, रश्मिका मंदाना ने अपनी भूमिका में शानदार, भावुक और स्वाभाविक अभिनय से सभी का दिल जीता है। उन्होंने अपने किरदार को न केवल मजबूत बनाया है, बल्कि उसमें नाजुक पक्ष भी पेश किया है। उनकी भूमिका फिल्म की भावनात्मक गहराई में चार चांद लगाती है।

कई जबरदस्त दृश्य

फिल्म के दूसरे हिस्से में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है और कई जबरदस्त दृश्य देखने को मिलते है। खासकर आलोक (आयुष्मान खुराना) और 'भेड़िया' के बीच की लड़ाई दर्शकों के लिए बड़ी दिलचस्पी लेकर आती है। इस लड़ाई में उच्च स्तरीय स्पेशल इफेक्ट और बेहतरीन एक्शन सीन दिखाए गए हैं। यह लड़ाई न केवल फिल्म के पात्रों के बीच की दुश्मनी को दिखाती है, बल्कि उनके अंदर छुपे संबंधों का संकेत भी देती है, जो आगे आने वाली फिल्मों के लिए अहम हो सकते हैं। यह दृश्य इतने जबरदस्त हैं कि आप थिएटर में बैठकर तालियां बजाना चाहेंगे। लेकिन इस लड़ाई के बाद आपके मन में कई सवाल भी उठेंगे, खासकर यह कि ये दोनों पात्र कैसे जुड़े हैं। इसका जवाब फिल्म का एक बड़ा रहस्य बना हुआ है।

एक बड़े सिनेमाई यूनिवर्स का हिस्सा

'थामा' फिल्म केवल एक कहानी नहीं है बल्कि एक बड़े सिनेमाई यूनिवर्स का हिस्सा भी है। इस यूनिवर्स में कई सारी फिल्में और किरदार जुड़े हुए हैं और यह फिल्म इसके विस्तार की दिशा में एक और कदम है। फिल्म में सबसे बड़ा आकर्षण 'स्त्री' फिल्म के डरावने किरदार 'सिर कटा' की वापसी है। उसका अचानक और डरावने तरीके से प्रकट होना इस बात की ओर इशारा करता है कि इस दुनिया में एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

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'स्त्री 2' और 'थामा' के बीच का कनेक्शन इतना मजबूत है कि फिल्म खत्म होने तक यह साफ हो जाता है कि जल्द ही एक बड़ी क्रॉसओवर फिल्म आने वाली है, जिसमें कई कहानियां और पात्र एक साथ जुड़ेंगे।

फिल्म में कलाकारों का अभिनय भी शानदार है। परेश रावल ने एक तेज-तर्रार और मजाकिया पिता की भूमिका निभाई है, जो फिल्म में हास्य का बड़ा स्रोत है। वहीं, नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने गहरे और गंभीर अभिनय से फिल्म की कहानी में एक अलग स्तर जोड़ दिया है। उनका किरदार जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, ऐसा लगता है कि वह इस ब्रह्मांड में अच्छाई और बुराई के बीच हो रहे बड़े संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उनके अभिनय की गहराई और उनकी उपस्थिति फिल्म को एक खास गंभीरता देती है।

नोरा फतेही का कैमियो

साथ ही, सत्यराज का किरदार एल्विस भी फिल्म में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आता है। एल्विस, जो एक अनोखे पैरानॉर्मल एक्सपर्ट के रूप में जाना जाता है, अपनी वापसी में केवल कॉमेडी के लिए नहीं, बल्कि कहानी के बड़े चित्र को बदलने वाले तत्व के रूप में दिखता है। वह आलोक के बदले हुए रूप 'बेताल' और 'भेड़िया' के बीच छुपे रिश्ते की ओर संकेत करता है, जो 'स्त्री 2' में 'सिरकटा' के साथ जुड़ा था। यह सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण कनेक्शन भविष्य की फिल्मों में होने वाली बड़ी घटनाओं की झलक देता है।

फिल्म में नोरा फतेही का कैमियो भी एक बड़ा आकर्षण है। उनकी उपस्थिति सिर्फ ग्लैमर के लिए नहीं, बल्कि इस ब्रह्मांड की कहानी में एक अहम जोड़ बनाती है। यह कैमियो 'स्त्री' के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ता है और लंबे समय से इस ब्रह्मांड के फैंस के लिए एक बड़ा सरप्राइज है। उनकी भूमिका इस कहानी के रहस्यों को खोलने या गहराने वाली लगती है, जो आगे की फिल्मों के लिए नए सवाल छोड़ती है।

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