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जब करोड़ों का स्टार बन गया कंगाल और भुला दिया गया! हॉलीवुड सितारे की दर्दभरी दास्तान

वह अमेरिका के छोटे शहरों की कहानियों को बड़े परदे पर जीवंत करने में माहिर थे। दर्शक उन्हें अपने जैसा समझते थे—एक साधारण लड़का जो सपनों की दुनिया में बड़ा बन सकता है।

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Mukesh Pandit
Hollywood tragic story

साइलेंट फिल्मों के शुरुआती दौर में हॉलीवुड का एक नाम हर दिल पर छाया रहता था और वो चार्ल्स रे का था। चेहरे पर मासूमियत, अभिनय में सादगी और किरदारों में गहराई… वह अमेरिका के छोटे शहरों की कहानियों को बड़े परदे पर जीवंत करने में माहिर थे। दर्शक उन्हें अपने जैसा समझते थे—एक साधारण लड़का जो सपनों की दुनिया में बड़ा बन सकता है। चार्ल्स रे सच में बड़े बने, लेकिन उनका सफर जितना अद्भुत था, उतना ही दर्दनाक भी था।

नई पहचान दिलाई—‘कंट्री बॉय’की पहचान

इलिनॉय के एक साधारण परिवार से निकलकर चार्ल्स जब हॉलीवुड पहुंचे, तब वहां चमक थी, दिखावा था, और अवसरों की भीड़ में खो जाने का डर था। मगर उनके भीतर आत्मविश्वास की एक ऐसी लौ जल रही थी, जिसने साइलेंट सिनेमा में उन्हें एक नई पहचान दिलाई—‘कंट्री बॉय’की पहचान। वह हंसाते थे, रुलाते थे, और अपनी सादगी से दिल जीत लेते थे। निर्माता उन्हें हाथों-हाथ लेते, और प्रेस उन्हें “अमेरिका का भोला भाला हीरो” कहकर पुकारती थी।

जब खुद को स्टूडियो खोला

लेकिन हर ऊंचाई के पीछे एक जोखिम छिपा होता है। चार्ल्स रे ने वह जोखिम लिया और खुद का स्टूडियो खोल दिया। वह सिर्फ सितारा नहीं रहना चाहते थे, बल्कि कहानी कहने वाले भी बनना चाहते थे। महत्वाकांक्षा बड़ी थी, और उनकी सबसे बड़ी फिल्म थी 'द कोर्टशिप ऑफ माइल्स स्टैंडिश।' इस फिल्म पर उन्होंने अपनी पूरी जमा-पूंजी, भरोसा और नाम दांव पर लगा दिया। लेकिन, अफसोस, उनके सपनों की सजाई दुनिया को दर्शकों ने ठुकरा दिया। फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई और इसके साथ ही चार्ल्स की किस्मत भी।

एक वक्त में काम के लिए तरसने लगे

कभी जिनके नाम पर थिएटर हाउसफुल हो जाते थे, वे अब काम के लिए तरसने लगे। कर्ज, उपेक्षा और टूटते रिश्ते उनकी तकदीर बन गए। हॉलीवुड ने जिस कलाकार को गले लगाया था, उसे उसी तेजी से भुला भी दिया गया। जहां एक समय अखबार उनकी मुस्कराती तस्वीरों से पटे रहते थे, वहीं कुछ साल में उनकी तस्वीरें सिर्फ गुजरे दौर के नायकों की सूची तक सीमित रह गईं। वापसी की कोशिश भी की। छोटे-छोटे रोल किए, लेखन-निर्देशन में हाथ आजमाया—लेकिन वह चमक लौट न सकी, जो कभी उनकी पहचान थी।

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23 नवंबर 1943, यह सितारा दुनिया को अलविदा कह गया। इतना चुपचाप कि हॉलीवुड गोर करने में भी देर कर बैठा। जिस व्यक्ति ने दर्शकों को हंसी और उम्मीद दी, उसकी विदाई में न शोर था, न रोशनी। वह इतिहास के पन्नों में दब गया, जैसे कोई पुरानी रील, जिसे कभी चलाया न जाए।आईएएनएस hollywood News | Hollywood actress | Hollywood actor | Hollywood tragic story 

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