अभिनेता रणदीप हुड्डा इन दिनों अपनी हालिया रिलीज़ फिल्म
‘जाट’ की सफलता को लेकर सुर्खियों में हैं। फिल्म ने ₹40 करोड़ से अधिक की कमाई कर दर्शकों का दिल जीत लिया है। फिल्म के प्रचार के सिलसिले में रणदीप अपने निर्देशक गोपीचंद मलिनेनी के साथ हरियाणा के रोहतक स्थित अपने पैतृक गांव पहुंचे, जिसे उन्होंने बड़े गर्व से "हार्ट ऑफ जाट लैंड" कहा। उन्होंने बैसाखी के खास मौके पर गांव में पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया और सोशल मीडिया पर हरियाणवी चूरमा व देसी खाने की तस्वीरें भी साझा कीं। रणदीप ने इंस्टाग्राम पर लिखा, कि अंतरराष्ट्रीय जाट दिवस पर मैं अपने रोहतक स्थित पैतृक गांव पहुंचा। मेरे साथ मेरे भाई, निर्देशक गोपीचंद भी इस सफर में शामिल हुए। हमने अपने काका के घर पर बना स्वादिष्ट हरियाणवी खाना खाया।” वहीं, रणदीप चंडीगढ़ के एक थिएटर में सरप्राइज विजिट देकर फैंस को चौंका भी गए, जहां उन्होंने दर्शकों की तालियों और सीटियों के साथ फिल्म का लाइव रिस्पॉन्स देखा।
जड़ों से जुड़ाव और गर्व का पल
रणदीप की यह यात्रा सिर्फ प्रचार के लिए नहीं, बल्कि भावनात्मक और प्रतीकात्मक थी। उनके एक करीबी सूत्र के अनुसार
, "रणदीप हमेशा अपनी पहचान को गर्व से जीते हैं। ‘जाट’ की सफलता उन्हें वहीं ले आई जहां से सब शुरू हुआ था।" अपने परिवार और समुदाय के बीच जाकर इस जीत को साझा करना उनके लिए गर्व और आत्मीयता का विषय था। उन्होंने कहा कि अपने लोगों के साथ मिलकर जश्न मनाना, उनके लिए दुनिया की सबसे बड़ी खुशी है। मीडिया से बातचीत में रणदीप ने फिल्म की यूएसपी पर ज़ोर देते हुए कहा, “‘जाट’ में आपको दक्षिण का मसाला मिलेगा और हरियाणा का लठ भी। भाई गोपीचंद मलिनेनी ने ये फिल्म बनाई है जिसमें मैं खलनायक ‘रणतुंगा’ का रोल निभा रहा हूं। रोहतक के भाई लोग जरूर देखना और बताना कैसी लगी।”
हरियाणवी भाषा का बढ़ता प्रभाव और रणदीप का क्षेत्रीय गर्व
रणदीप हुड्डा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए
हरियाणवी भाषा और संस्कृति की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, “एक समय था जब पंजाबी का बोलबाला था, लेकिन अब हरियाणवी भी नाम कमा रही है। 'दंगल' जैसी फिल्मों और गानों ने इस भाषा को ऊंचा उठाया है।” उन्होंने आगे कहा कि "हमारा उद्देश्य दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करना है, और ‘जाट’ में सनी देओल जैसी फिल्मों की देशभक्ति और किसान भावना भी मिलेगी। फिल्म के ज़रिए हुड्डा न सिर्फ अपनी जड़ें और पहचान को सेलिब्रेट कर रहे हैं, बल्कि हरियाणवी सिनेमा को राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान देने का भी काम कर रहे हैं।