नई दिल्ली,वाईबीएन नेटवर्क।
अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ने वाले को हमेशा से ही सजा मिली है। तानाशाहों ने हमेशा दुनिया को गुलाम बनाना चाहा। वे किसी भी कीमत पर दुनिया को अपने हिसाब से चलाना चाहते थे और जो भी इन सबके बीच में आया उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसा ही नरसंहार को याद रखने के लिए पूरी दुनिया में 27 जनवरी को International National Holocaust Remember Day मनाया जाता है।
होलोकॉस्ट डे को सन 1945 में ऑशविट्ज़-बिरकेनौ कौन्सेंट्रेशन कैंप को मिली आजादी के रूप में मनाया जाता है। इसी की याद में हर साल 27 जनवरी को इस दिवस को मनाया जाता है। इस साल इसकी 80वी वर्षगांठ है। यह दिन नरसंहार के दिनों की याद दिलाता है और बताता है कि ऐसी घटना इतिहास में फिर से न दोहराई जाए।
क्या था होलोकॉस्ट
होलोकॉस्ट इतिहास का वह भयावह काल था, जब जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर की नाजी सेना ने 60 लाख से अधिक यहूदियों का कत्लेआम कर दिया था। इसके साथ रोमानी, विकलांग, पॉलिश और सोवियत नागरिक, राजनीतिक हस्तियों सहित लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
27 जनवरी, 1945 को सोवियत सैनिकों ने पोलैंड में स्थित ऑशविट्ज़ कैंप को मुक्त कराया, जो होलोकॉस्ट के सबसे बड़े और सबसे कुख्यात मौत की सजा देने के लिए जाना जाता था। इस कैंप में सैकड़ों यहूदियों सहित लाखों लोगों को मौत दी गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय होलोकॉस्ट डे उस नरसंहार में मारे गए लोगों की याद दिलाता है। यह दिन उन लोगों को समर्पित है जिन्होंने उस कठिन पीड़ा और परिस्थिति का सामना किया। आने वाली पीडी को इस घटना के बारे में बताना जरूरी है। ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। दुनिया को होलोकॉस्ट को महत्व बताने के लिए हर साल इसे उत्साह के साथ मनाया जाता है। जो यहूदियों को समर्पित है। इस साल की होलोकॉस्ट थीम Holocaust Remembrance for Dignity and Human Rights रखी गई है।
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