नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
गांधी और गोड़से इतिहास के दो बड़े नाम हैं। ये भले ही एक सिक्के के दो पहलू ना हों पर जब एक का नाम आता है तो दूसरे का नाम अपने आप आ ही जाता है। लोग गांधी से ज्यादा गोड़से के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। ‘गोड़से ने गांधी को क्यों मारा’ ये सवाल भारत के इतिहास में काली स्याही से लिख गया है। गांधी जी की मौत के आज 77 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन ये सवाल आज भी लोगों के जहन में ताजा बना हुआ है।
ये था सबसे बड़ा कारण
30 जनवरी 1948 की शाम को दिल्ली के बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी के सीने में तीन गोलियां उतार दीं थी। जिससे उनकी मौत हो गई। इतिहासकारों का मानना है कि गोड़से गांधी जी को भारत पाकिस्तान के बटवारे के लिए जिम्मेदार मानते थे। महात्मा गांधी का हिंदू- मुस्लिम एकता को सिद्धांत को गलत मानते थे, गोड़से का कहना था कि इससे हिंदुओं को नुकसान होगा। इतिहासकार रामचंद्र गुहा के मुताबिक, गोडसे को लगा कि पाकिस्तान के फाइनेंशियल राइट्स के लिए गांधीजी का समर्थन और मुसलमानों के साथ उनके शांति की कोशिशों ने हिंदू हितों का खतरे में डाल दिया है।
गांधी जी को मारने से पहले गोड़से की तैयारी
30 जनवरी 1948 रमजान का महीना था और कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। मरीना होटल के एक कमरे से एक शख़्स मस्जिद की हलचल को देख रहा था तब इस होटल में, जिसे अब रेडिसन ब्लू मरीना होटल के नाम से जाना जाता है, नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे आए। होटल के कमरा नम्बर 40 में ये रुके थे। उन्होंने एस देशपांडे और एसएन देशपांडे नामों से कमरा बुक करवाया। ये दोनों लोग कनॉट प्लेस से बिड़ला हाउस पहुंचे, जहां गांधी जी का उपवास चल रहा था। गोड़से और आप्टे पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने बेरेटा M1934 पिस्टल खरीदी, इसी बंदूक से उन्होने गांधी की हत्या कर दी थी।
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