गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने कार्यकाल का 8वां बजट पेश कर कुछ लोगों को राहत दी हो, मगर जीएसटी और टैक्स में बड़ी राहत की उम्मीद लगाए बैठा व्यापारी वर्ग निराश दिख रहा है।
ये है मायूसी का कारण
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नवयुग मार्केट गाजियाबाद के फर्नीचर निर्माता व व्यापारी सचिन मित्तल का मन टटोला गया, तो वह बजट को देखकर थोड़ा सा निराश दिखे। सचिन मित्तल ने बताया कि उनके यहां एवरेज एक फर्नीचर की कीमत 3 हजार से 5 हजार तक होती है, जिसका भुगतान ग्राहक नगद के रूप में ज्यादा करते हैं। यदि व्यापारी द्वारा ग्राहक से बिल के लिए बोला जाता है, तो ग्राहक यह बोलकर मना कर देता है कि उसे बिल की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि बिल में उसका टैक्स जा रहा है।
ग्राहक बिल नहीं लेता
आपको बता दे अभी फर्नीचर पर 18% की दर से जीएसटी लिया जाता है, सचिन मित्तल ने यह भी बताया कि शादी में दिए जाने वाले फर्नीचर की कीमत 70000 से ₹100000 तक हो जाती है जिसकी भुगतान ग्राहक नगद के रूप में करता है और यदि जब दुकानदार उनसे बिल के लिए बोलता है तो ग्राहक यह कैसे मना कर देता है कि मैं 1 लाख के बल पर 18% का जीएसटी क्यों दु,
टैक्स बिल में इंक्लूड होना चाहिए
सचिन मित्तल में यह भी बताया जिस प्रकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बिल में जीएसटी इंक्लूड होता है उसी प्रकार क्या सरकार एक समान जीएसटी का नियम लाना चाहिए, जिस प्रकार सरकार ने नौकरी पेशा लोगों लोगो को टैक्स में राहत दी है वो काबिले तारीफ है और अपने आप में स्वागत योग्य है।
GST सरल हो
सचिन मित्तल ने कहा कि व्यापारियों की सबसे बड़ी समस्या है जीएसटी का सरल ना होना। जिस तरह हर महीने जीएसटी कलेक्शन लगातार बढ़ता जा रहा है, यदि सरकार व्यापारियों के हित में थोड़ा सा और सोचे तो यह कलेक्शन और अधिक आंकड़े पार कर पाएगा।
टैक्स दर कम हो, GST दायरे में हों पेट्रोलियम पदार्थ
सचिन मित्तल का कहना है कि छोटे व्यापारियों के लिए टैक्स 5% व 10% होना चाहिए। सरकार को पेट्रोल व डीजल को भी जीएसटी के दायरे में लाने चाहिए , जिससे डीजल पेट्रोल के भाव में कमी आने के बाद माल ढुलाई के किराए में कमी आएगी, सचिन मित्तल ने यह भी बताया कि गाजियाबाद का पुराना शहर जहां से आज भी हजारों करोड रुपए का व्यापार होता है यदि सरकार उन्हें टैक्स में नियम के हिसाब से कुछ और छूट दे तो व्यापारियों के लिए राहत का काम करेगा।