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Ghaziabad: गाजियाबाद भाजपा की जय-वीरु जोड़ी में आई दूरी, चर्चाओं का बाजार गर्म

Ghaziabad: विधायक संजीव शर्मा और महानगर महामंत्री पप्पू पहलवान की मजबूत जोड़ी, जो कभी गाजियाबाद भाजपा की रीढ़ मानी जाती थी, अब अलग राह पर नजर आ रही है। पार्टी कार्यक्रमों से पप्पू पहलवान की दूरी और धार्मिक यात्राओं में व्यस्तता ने कई सवाल खड़े किए हैं।

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Deepak Sharma
Ghaziabad: गाजियाबाद भाजपा की जय-वीरु जोड़ी में आई दूरी, चर्चाओं का बाजार गर्म
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। गाजियाबाद भाजपा में ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में अपनी दोस्ती और हर वक्त साथ रहने के लिए चर्चित जय-वीरु की जोड़ी इन दिनों काफी कम साथ-साथ दिख रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं विधायक संजीव शर्मा और भाजपा महानगर महामंत्री पप्पू पहलवान की। हालांकि यह बताना कठिन है कि इनमें से जय कौन है और वीरु कौन है, लेकिन इन दोनों की जोड़ी ने गाजियाबाद भाजपा को नई ऊंचाई पर पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

भाजपा के कार्यक्रमों से पप्पू पहलवान की दूरी

पिछले कुछ समय से भाजपा महानगर महामंत्री पप्पू पहलवान संगठन के कार्यक्रमों और बैठकों से दूर रहे हैं। हालांकि, इसकी असल वजह क्या है, यह तो पप्पू पहलवान ही बता सकते हैं। एक साल पहले तक भाजपा के कार्यक्रमों और बैठकों में केंद्र में रहने वाले पप्पू पहलवान की अचानक दूरी ने कई तरह की अटकलों को जन्म दे दिया है। न केवल भाजपा में, बल्कि अन्य राजनीतिक दलों में भी इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं तेज हैं।

शौर्य यात्रा में दिखे, लेकिन अन्य कार्यक्रमों में गैरमौजूद

हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर निकाली गई शौर्य यात्रा में पप्पू पहलवान जरूर नजर आए, लेकिन इससे पहले के कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में उनकी गैरमौजूदगी ने सवाल खड़े किए। महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल के नेतृत्व में आयोजित कई बैठकों में भी पप्पू पहलवान नहीं दिखे। यहां तक कि उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में हुए कार्यक्रम में भी उनकी गैरमौजूदगी देखी गई।

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सामाजिक संगठन और धार्मिक यात्राओं में व्यस्तता

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हालांकि, भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बनाने के बावजूद पप्पू पहलवान अपने सामाजिक संगठन 'समाधान शक्ति' के तहत कई कार्यक्रमों में सक्रिय रहे। कवि सम्मेलन, खेल प्रतियोगिताएं और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन उनके संगठन द्वारा नियमित रूप से किया जाता रहा है। इसके साथ ही, पप्पू पहलवान इन दिनों धार्मिक यात्राओं में भी व्यस्त हैं। हाल ही में वे बाबा नीम करोली धाम की यात्रा पर गए, जहां उनके साथ कई भाजपा कार्यकर्ता भी शामिल थे। इससे पहले उन्होंने उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थस्थानों के भी दर्शन किए।

क्या महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा बनी वजह?

पप्पू पहलवान और विधायक संजीव शर्मा की जोड़ी को गाजियाबाद भाजपा में सफलता की कुंजी माना जाता था। इन दोनों ने मिलकर भाजपा को महानगर में नई पहचान दिलाई। लेकिन, महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल की घोषणा के बाद से इन दोनों के बीच दूरी बढ़ती दिख रही है। सवाल यह है कि क्या यह बदलाव महानगर अध्यक्ष पद की घोषणा का परिणाम है?

उपचुनाव में दिखाई ताकत, लेकिन अब दूरी क्यों?

हाल ही में हुए उपचुनाव में पप्पू पहलवान ने अपने दोस्त संजीव शर्मा के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। लाइनपार क्षेत्र में उन्होंने संजीव शर्मा के प्रचार की कमान संभाली और हर कदम पर उनके साथ खड़े रहे। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने आवास निर्माण की योजनाओं का भी भरोसा दिलाया। लेकिन अब महानगर अध्यक्ष की घोषणा के बाद से यह मजबूत जोड़ी एक साथ कम ही नजर आ रही है।

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भाजपा में उठ रहे सवाल

पप्पू पहलवान की धार्मिक यात्राओं और भाजपा कार्यक्रमों से दूरी ने पार्टी के भीतर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। महानगर में लगातार हो रहे कार्यक्रमों के बीच पप्पू पहलवान का धार्मिक स्थलों का दौरा क्या किसी राजनीतिक संकेत की ओर इशारा करता है? या फिर यह सिर्फ एक संयोग मात्र है? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिल सकते हैं, लेकिन फिलहाल गाजियाबाद भाजपा की जय-वीरु जोड़ी की दूरी ने चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।

पप्पू पहलवान की अगली रणनीति पर सभी की नजरें

आने वाले समय में पप्पू पहलवान की अगली रणनीति पर सभी की नजरें टिकी होंगी। क्या वे पुनः भाजपा के कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे, या फिर धार्मिक यात्राओं और सामाजिक कार्यों में ही सीमित रहेंगे? गाजियाबाद भाजपा के भीतर चल रही चर्चाओं के बीच यह सवाल बड़ा महत्व रखता है।

निष्कर्ष:

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पप्पू पहलवान और विधायक संजीव शर्मा की जय-वीरु जोड़ी ने गाजियाबाद भाजपा में जिस मजबूती से पकड़ बनाई थी, वह कहीं न कहीं महानगर अध्यक्ष की घोषणा के बाद कमजोर होती दिख रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दूरी अस्थायी है या कोई स्थायी राजनीतिक बदलाव का संकेत।

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