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Ghaziabad News - निजी स्कूलों की मनमानी पर जिलाधिकारी की सख्ती, जल्द होगी बैठक

शिक्षा का अधिकार अधिनियम हर बच्चे को शिक्षा का मौलिक अधिकार देता है, और इसकी अवहेलना करने वाले स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई समय की मांग है। जिलाधिकारी की इस पहल से न केवल नियमों का पालन सुनिश्चित होगा,

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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गाजियाबाद में शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश न देने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिलाधिकारी ने ऐसे स्कूलों को तलब किया है, जो नियमों का उल्लंघन कर गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी कर रहे हैं। इस मुद्दे पर जल्द ही एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें नियमों का पालन न करने वाले स्कूलों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। साथ ही, उन अभिभावकों की समस्याएं भी सुनी जाएंगी, जो बीएसए कार्यालय और स्कूलों के चक्कर काट रहे हैं।

छह स्कूलों ने नहीं दिया एक भी दाखिला

बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ओपी यादव ने बताया कि शहर के 30 निजी स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे हैं। इनमें से छह स्कूलों ने तो एक भी बच्चे को दाखिला नहीं दिया है, जबकि 24 स्कूलों ने मानक से कम प्रवेश दिए हैं। बीएसए के अनुसार, इन स्कूलों को तीन बार नोटिस भेजा जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद वे अभिभावकों को बुलाकर परेशान कर रहे हैं और दाखिला देने से बच रहे हैं।

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तलब किए गए स्कूलों के नाम

बीएसए ने उन छह स्कूलों के नाम भी सार्वजनिक किए हैं, जिन्होंने एक भी बच्चे को प्रवेश नहीं दिया है। ये स्कूल हैं:

डीएलएफ पब्लिक स्कूल, साहिबाबाद

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सेंट जेवियर्स वर्ल्ड स्कूल

सुंदरदीप वर्ल्ड स्कूल

गुरुकुल द स्कूल

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तुलसी राम माहेश्वरी पब्लिक स्कूल, मुरादनगर

स्टेप यूपी स्कूल

इनके अलावा, 24 अन्य स्कूलों ने भी RTE के तहत निर्धारित कोटे से कम बच्चों को दाखिला दिया है। इन सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम और स्कूलों की जिम्मेदारी

शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के तहत, निजी स्कूलों को आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए अपनी कुल सीटों का 25% हिस्सा मुफ्त शिक्षा के लिए आरक्षित करना अनिवार्य है। हालांकि, कई स्कूल इस नियम का पालन करने में कोताही बरत रहे हैं, जिसके कारण गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा के अवसर से वंचित हो रहे हैं। अभिभावकों की शिकायत है कि स्कूल जानबूझकर प्रक्रिया को जटिल बनाते हैं या दाखिला देने से मना कर देते हैं।

बीएसए का बयान

बीएसए ओपी यादव ने कहा, "हमने स्कूलों को तीन बार नोटिस भेजा है, लेकिन उनकी मनमानी जारी है। यह स्वीकार्य नहीं है। जिलाधिकारी की बैठक में इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी पात्र बच्चों को उनका हक मिले।" उन्होंने यह भी बताया कि अभिभावकों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अभिभावकों की परेशानी

RTE के तहत दाखिला पाने की कोशिश कर रहे अभिभावक स्कूलों और बीएसए कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। कई अभिभावकों का कहना है कि स्कूल उन्हें बार-बार बुलाते हैं, लेकिन दाखिला देने के बजाय बहाने बनाते हैं। कुछ स्कूलों ने दस्तावेजों में कमी निकालकर या अन्य कारण बताकर दाखिला देने से इनकार कर दिया है। इन अभिभावकों को उम्मीद है कि जिलाधिकारी की बैठक में उनकी समस्याओं का समाधान होगा।

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