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Ghaziabad Crime - मोदीनगर में लेखपाल का 'रिश्वत राग': एंटी-करप्शन की धुन पर थम गया तहसील का तमाशा!

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे भ्रष्टाचार की शिकायत बिना डर के एंटी-करप्शन विभाग से करें। इस घटना ने गाजियाबाद की जनता को एक नया हौसला दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से बदलाव मुमकिन है।

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Kapil Mehra
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Photograph: (File)

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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मोदीनगर तहसील में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एंटी-करप्शन टीम ने एक लेखपाल को रिश्वत लेते रंगे हाथों धर दबोचा। यह नजारा किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं था लेखपाल अपनी कुर्सी पर बैठकर 'रिश्वत राग' आलाप रहा था, और तभी एंटी-करप्शन की टीम ने 'धमाकेदार एंट्री' मारकर उसे धराशायी कर दिया! यह कहानी न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी जीत है, बल्कि गाजियाबाद की जनता के लिए एक ऐसी मिसाल है, जो कहती है अब 'नोटों की गड्डी' से नहीं, बल्कि ईमानदारी की चाबी से खुलेगा तहसील का ताला!

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

क्या हुआ था तहसील में?

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मोदीनगर तहसील में जमीन के बंटवारे और दाखिल-खारिज जैसे कामों के लिए लेखपाल की 'खास मेहरबानी' का बोलबाला था। सूत्रों के मुताबिक, यह लेखपाल स्थानीय लोगों से जमीन से जुड़े कामों के लिए मोटी रकम की मांग कर रहा था। एक शिकायतकर्ता, जिसका नाम गोपनीय रखा गया है, ने इस 'रिश्वतखोरी' की शिकायत एंटी-करप्शन टीम से की। शिकायतकर्ता ने बताया कि लेखपाल ने जमीन की पैमाइश और रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने के लिए हजारों रुपये की मांग की थी।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

बस फिर क्या था!

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एंटी-करप्शन की मेरठ इकाई ने जाल बिछाया और शिकायतकर्ता को 'केमिकल लगे नोटों' के साथ तहसील भेजा। जैसे ही लेखपाल ने रिश्वत की रकम हाथ में ली, टीम ने छापा मारकर उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। स्थानीय लोगों के मुताबिक, यह सब इतनी तेजी से हुआ कि लेखपाल को भागने का मौका तक नहीं मिला! एक चश्मदीद ने हंसते हुए कहा, "लेखपाल जी तो नोट गिन रहे थे, लेकिन एंटी-करप्शन ने उनकी गिनती बंद कर दी!

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

एंटी-करप्शन की रफ्तार, लेखपाल की आफत

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एंटी-करप्शन की मेरठ इकाई ने इस कार्रवाई को बखूबी अंजाम दिया। सूत्रों के अनुसार, लेखपाल को गिरफ्तार कर मेरठ ले जाया गया, जहां उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस और प्रशासन अब इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या लेखपाल अकेले इस 'रिश्वत राग' को गा रहा था, या इसमें और लोग भी शामिल थे।स्थानीय निवासियों का कहना है कि मोदीनगर तहसील में रिश्वतखोरी कोई नई बात नहीं है।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

क्या बदलेगा तहसील का तेवर?

यह घटना एक बार फिर तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करती है। गाजियाबाद जैसे तेजी से विकसित हो रहे शहर में, जहां जमीन के दाम आसमान छू रहे हैं, लेखपाल जैसे पदों की ताकत और जिम्मेदारी बढ़ जाती है। लेकिन इस ताकत का दुरुपयोग अब जनता बर्दाश्त करने को तैयार नहीं।एंटी-करप्शन की इस कार्रवाई ने न केवल लेखपालों के बीच हड़कंप मचा दिया है, बल्कि आम लोगों में भी एक नई उम्मीद जगाई है। एक स्थानीय युवा, प्रिया, ने हल्के अंदाज में कहा, "अब तहसील में 'नोटों की पैमाइश' बंद होगी, और शायद असली काम शुरू होगा!"

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