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Ghaziabad Crime -क्राइम ब्रांच ने पकड़ी 50 लाख की अफीम, झारखंड से तस्करी करने वाला गिरफ्तार

गाजियाबाद क्राइम ब्रांच की इस कार्रवाई से अवैध मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों में खौफ पैदा हुआ है। 50 लाख रुपये की अफीम की बरामदगी और शंभू कुमार की गिरफ्तारी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

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गाजियाबाद क्राइम ब्रांच पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए झारखंड से तस्करी करके लाई गई करीब 2 किलोग्राम अफीम, जिसकी कीमत लगभग 50 लाख रुपये आंकी गई है, के साथ एक अंतरराज्यीय तस्कर को गिरफ्तार किया है। अभियुक्त की पहचान शंभू कुमार के रूप में हुई है, जो झारखंड के हजारीबाग जिले का निवासी है। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त करने की दिशा में काम कर रही है।

गिरफ्तारी और बरामदगी

क्राइम ब्रांच पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि एक तस्कर झारखंड से अवैध अफीम लेकर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सप्लाई करने के लिए गाजियाबाद आ रहा है। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने जाल बिछाया और शंभू कुमार को धर दबोचा। उसके कब्जे से 2 किलोग्राम अफीम बरामद की गई, जिसकी बाजार में कीमत करीब 50 लाख रुपये बताई जा रही है। पुलिस ने अभियुक्त के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

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अभियुक्त का बयान

प्रारंभिक पूछताछ में शंभू कुमार ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने बताया कि वह झारखंड के हजारीबाग का रहने वाला है और 12वीं कक्षा तक पढ़ाई करने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उसने मैकेनिक का काम सीखा और एक दुकान पर काम शुरू किया।

अपने भाई से ड्राइविंग सीखने के बाद उसने दूसरों के लिए ड्राइविंग शुरू की और फिर एक पुरानी स्कॉर्पियो गाड़ी खरीदकर उसे बुकिंग पर चलाने लगा। हालांकि, कम आमदनी के कारण वह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था।इसी दौरान शंभू की मुलाकात उसके बड़े भाई के परिचित, हजारीबाग निवासी उपेंद्र कुमार से हुई। उपेंद्र ने उसे अवैध अफीम की तस्करी के बारे में बताया और मोटा मुनाफा कमाने का लालच दिया।

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शंभू ने उपेंद्र के साथ मिलकर झारखंड से दिल्ली-एनसीआर में अफीम की तस्करी शुरू कर दी। उसने बताया कि उसे प्रत्येक चक्कर के लिए 15 से 20 हज़ार रुपये मिलते थे।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

तस्करी का नेटवर्क

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शंभू के बयान से पता चला कि यह तस्करी का एक संगठित नेटवर्क है, जिसमें उपेंद्र कुमार मुख्य सरगना के रूप में काम करता है। वह झारखंड के हजारीबाग से अफीम लाकर दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई करता है। शंभू का काम अफीम को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाने का था। पुलिस अब उपेंद्र कुमार की तलाश में छापेमारी कर रही है और इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

पुलिस की कार्रवाई

क्राइम ब्रांच के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यह गिरफ्तारी गाजियाबाद पुलिस की मादक पदार्थों के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है। अफीम की इतनी बड़ी खेप पकड़े जाने से तस्करी के नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। पुलिस ने शंभू से पूछताछ के आधार पर अन्य संदिग्धों की पहचान शुरू कर दी है और जल्द ही इस नेटवर्क को पूरी तरह से खत्म करने की योजना है। इसके लिए झारखंड पुलिस से भी संपर्क किया जा रहा है ताकि तस्करी के स्रोत तक पहुंचा जा सके।

सामाजिक और कानूनी पहलू

यह मामला समाज में मादक पदार्थों की तस्करी और युवाओं को गलत रास्ते पर ले जाने की गंभीर समस्या को उजागर करता है। शंभू जैसे युवा आर्थिक तंगी और लालच के कारण इस तरह के अपराधों में लिप्त हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नशे की तस्करी को रोकने के लिए न केवल सख्त कानूनी कार्रवाई, बल्कि सामाजिक जागरूकता और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की भी जरूरत है। एनडीपीएस एक्ट के तहत अफीम तस्करी के मामले में सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।

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