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Ghaziabad- उत्तराखंड के मंत्री के विवादित बयान पर भड़के पूर्व राज्य मंत्री सच्चिदानंद सुनाई खरी खोटी

उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का पहाड़ियों पर दिए गए विवादित बयान अब तूल पकड़ता जा रहा है मामला पूरे देश में आग की तरह फैल गया है वही गाजियाबाद में उत्तराखंड सरकार के पूर्व राज्य मंत्री सच्चिदानंद शर्मा ने मंत्री प्रेमचंद को सुनाई खरी खोटी

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

उत्तराखंड के मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर भड़के उत्तराखंड के पूर्व राज्य मंत्री सच्चिदानंद शर्मा पोखरियाल सुनाई खरी खोटी

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता 

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उत्तराखंड में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विधानसभा सत्र के दौरान 'पहाड़ी' लोगों पर टिप्पणी करके बवाल खड़ा कर दिया जिससे काफी विवाद पैदा हो गया।

देश में हो रहा है विरोध 

अलग-अलग हिस्सों में प्रेमचंद अग्रवाल के बयान का विरोध हो रहा है। राज्य आंदोलनकारी भी मंत्री के बयान से नाराज हैं। वहीं राजनीतिक विश्लेषक भी इस पर हैरानी जता रहे हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी विभिन्न संगठनों द्वारा प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। कई जगह उनकी शव यात्रा भी निकाली गई है।

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UK के पूर्व मंत्री ने जताई नाराज़गी 

इसी मामले में आज गाजियाबाद में उत्तराखंड मूल के निवासी, वरिष्ठ भाजपा नेता, पूर्व राज्यमंत्री एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य उत्तराखंड सच्चिदानन्द शर्मा 'पोखरियाल' ने अपने गाजियाबाद कार्यालय पर एक प्रेस वार्ता करते हुएअपना विरोध प्रकट किया और कहा कि उत्तराखंड राज्य को बनाने के लिए पहाड़ के लोगों ने अपनी शहादतें दी हैं और जिस तरह से पहाड़ियों के विरुद्ध इस तरह से बयानबाजी की जा रही है यह काफी निंदनीय है । जिस तरह से पहाड़ियों पर गलत टिप्पणियां की जा रही हैं, यह सही नहीं है।    

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उत्तराखंड है वीरों की भूमि

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। राज्य का सैन्य इतिहास वीरता और पराक्रम के असंख्य किस्से खुद में समेटे हुए है। यहा के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, वे अब प्रदेश की सीमाओं में ही ना सिमट कर देश-विदेश में फैल गई हैं।

कारगिल युद्ध में थे सबसे आगे

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कारगिल युद्ध की वीर गाथा भी इस वीरभूमि के जिक्र बिना अधूरी है। सूबे के 75 सैनिकों ने इस युद्ध में देश रक्षा में अपने प्राण न्योछावर किए। ऐसा कोई पदक नहीं, जो सूबे के जाबाजों को न मिला हो। इनकी याद में जहां एक ओर सैकड़ों आखें नम होती हैं, वहीं राज्यवासियों का सीना भी गर्व से चौड़ा हो जाता है।

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देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। इन युवाओं में सेना में जाने का क्रेज आज भी बरकरार है। यही कारण है कि आइएमए से पासआउट होने वाला हर 12वां अधिकारी उत्तराखंड से है।

हर विपदा में यूके के जवान सबसे आगे

वहीं भारतीय सेना का हर पाचवां जवान भी इसी वीरभूमि में जन्मा है। देश में जब भी कोई विपदा आई तो यहा के रणबाकुरे अपने फर्ज से पीछे नहीं हटे। 

उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 1999 में हुए कारगिल लड़ाई में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क की सेना को चारों खाने चित कर विजय हासिल की। कारगिल योद्धाओं की बहादुरी का स्मरण करने व शहीदों को श्रद्धाजलि अर्पित करने के लिए 26 जुलाई को प्रतिवर्ष कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अति दुर्गम घाटियों व पहाड़ियों में देश की आन-बान और शान के लिए भारतीय सेना (वायुसेना समेत) के 526 जवान शहीद हुए थे। इनमें 75 जाबाज अकेले उत्तराखंड से थे।

उत्तराखंड बनाने के लिए खाई लाठियां 

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान उत्तराखंड वासियों ने पृथक राज्य बनाने के लिए, लाठियां खाई, सलाखें झेली हैं और कई लोगों ने अपनी शहादतें दी है। जिसके बाद हमें यह उत्तराखंड राज्य के रूप में मिला है लेकिन जिस तरह से पहाड़ के लोगों के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया जा रहा है, हम उसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। 

CM धामी से किया अनुरोध 

उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी से आग्रह करते हैं कि इस पर लीपापोती नहीं होनी चाहिए। इस विषय पर कठोर से कठोर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि यह जो लोग पहाड़ के लोगों का निरादर कर रहे हैं, उनके प्रति गाली गलौज कर रहे हैं, यह इनकी पहाड़ विरोधी मानसिकता का परिचय है ।  

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उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने भरी सभा में उत्तराखंड में रहने वाले प्रत्येक नागरिक को लेकर विवादित बोले बोले हैं उससे उत्तराखंड का हर एक नागरिक शर्मिंदा है। बीजेपी अनुशासित पार्टी है और उसके किसी भी नेता या कार्यकर्ता को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए, जिससे समाज में गलत संदेश जाए। 

मंत्री प्रेम चंद को दी सलाह

उन्होंने मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को सलाह दी कि आगे से शब्दों का चयन सोच-समझकर करें ताकि किसी भी वर्ग की भावनाएं आहत न हों। मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी में अनुशासन सबसे महत्वपूर्ण है और बीजेपी के किसी भी मंत्री या नेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए, जिससे प्रदेश की शांति भंग हो । 

उन्होंने कहा कि प्रेमचंद अग्रवाल पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं और चार बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन उन्हें शब्दों के चयन में सतर्कता बरतनी होगी। उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गाजियाबाद के इन्दिरपुरम में आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में आये थे।

जहां पर उनसे इस विषय को लेकर चर्चा भी हुई व मीडिया बन्धुओं ने भी सवाल उठाये थे जिस सीएम धामी ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हम सभी का है और इसमें अलग-अलग अंचलों व समुदायों का योगदान है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी को भी किसी की भावनाओं को आहत करने का अधिकार नहीं है। 

मंत्री प्रेम चंद पहले ही दे चुके हैं सफाई

हालांकि इस मामले में प्रेमचंद अग्रवाल सफाई दे चुके हैं उनका कहना है कि वह भविष्य में अपने शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करेंगे और ऐसी कोई बात नहीं कहेंगे जिससे किसी की भावनाएं आहत हों। उन्होंने यह भी कहा कि उनका इरादा किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था और अगर किसी को उनके बयान से ठेस पहुंची है तो वह खेद व्यक्त करते हैं।

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