गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
यूपी सरकार की नई आबकारी नीति ने शराब कारोबारियों को मुश्किल में डाल दिया है।
नई नीति का निकाला तोड़
लेकिन शराब कारोबारियों ने सरकार की इस नई आबकारी नीति का तोड़ भी निकाल लिया है।शराब कारोबारियों ने अपने परिजनों के अलावा रिश्तेदारों तक से दुकानों के लिए आवेदन कराए हैं।
गाजियाबाद में शराब की दुकानों के आवंटन की शर्तों ने शराब के कारोबारियों को मुश्किल में डाल दिया है। नई शर्त के अनुसार, एक व्यक्ति को पूरे प्रदेश में अधिकतम दो दुकानें ही मिल सकती हैं।
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रिश्तेदारों को बना रहे हैं आवेदक
इसका रास्ता भी उन्होंने निकाल लिया है। और अपने बुजुर्ग माता पितता, भाई,पत्नी,बहू, दामाद, भरोसे मंद रिश्तेदारों के साथ ही मित्रों के नाम से शराब की दुकानों के लाइसेंस के लिए आवेदन करा दिया है।
इस बार अधिक से अधिक दुकानों की चाहत में कारोबारी ने 72 साल की मां के नाम 95 लाख की हैसियत प्रमाणपत्र बनाकर पांच दुकानों के लिए आवेदन किया है।
एक शराब कारोबारी ने अपनी नई बहू के नाम से हैसियत प्रमाणपत्र बनवाकर शराब की दुकान के लिए आवेदन किया है।
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शराब कारोबारी अपने बुजुर्ग माता-पिता के अलावा रिश्तेदारों और अन्य परिजनों के नाम से फार्म खरीदकर शराब की दुकानों के लिए आवेदन जमा कर रहे हैं। कुछ दुकानदारों ने नए सिरे से अपनी पुत्रवधू के नाम हैसियत प्रमाणपत्र बनवाकर आवेदन करा दिया है।
192 दुकानों के लिए 12 हजार से अधिक आवेदन
आबकारी विभाग के अनुसार गाजियाबाद में लगभग 268 शराब और बियर की दुकानें हैं। इनमें 136 शराब की और 132 बीयर की दुकानें शामिल हैं। अब आबकारी विभाग की नई पॉलिसी के तहत इनकी संख्या को कम करके 192 कर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि दुकानों की संख्या कम जरूर हुई है। लेकिन उपलब्धता को बढ़ाया गया है।
राजस्व में होगी बढ़ोतरी
जिला आबकारी अधिकारी संजय सिंह ने बताया कि नई नीति से राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी। राजस्व में पिछले सालों की तुलना में 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
इस बार ई-लॉटरी सिस्टम से दुकानों का आवंटन किया जाएगा। इसकी प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। 31 मार्च तक सभी प्रक्रिया को खत्म करके नई सिस्टम से दुकानों का संचालन किया जाएगा
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