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Ghaziabad News - जे० रविंदर गोड ने संभाली कमान, भ्रष्टाचार पर सख्ती का ऐलान

गाजियाबाद के नए पुलिस कमिश्नर जे रविंद्र गौड़ ने आज पुलिस लाइन स्थित पुलिस आयुक्त गाजियाबाद का कार्यभार संभाला, नई पुलिस कमिश्नर ने गाजियाबाद में आते ही अधिकारी को दिए सख्त निर्देश जनसुनवाई का समय सुबह 10 बजे किया निश्चित।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद ने संभाला कार्यभार

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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गाजियाबाद की सड़कों पर अपराध और भ्रष्टाचार की धूल को साफ करने के लिए एक नया चेहरा सामने आया है। 2005 बैच के तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी जे०रविंदर गौड़ ने गुरुवार को गाजियाबाद के दूसरे पुलिस कमिश्नर के रूप में चार्ज संभाला। आगरा से गाजियाबाद पहुंचे गौड़ ने आते ही साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकता है जनता की सुनवाई और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस। 

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सुबह 10 बजे हर ऑफिस में जनसुनवाई

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कमिश्नर गोड ने अपने पहले दिन ही पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया। उन्होंने ऐलान किया कि जिले के हर पुलिस ऑफिस थानों से लेकर डीसीपी और एसीपी कार्यालयों तक में सुबह 10 बजे से जनसुनवाई शुरू होगी। जनता पुलिस के पास अपनी फरियाद लेकर आती है, और उनकी बात सुनना हमारा पहला कर्तव्य है, गौड़ ने कहा उन्होंने जोर देकर कहा कि जनसुनवाई में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर कोई शिकायतकर्ता उपेक्षित हुआ, तो संबंधित अधिकारी पर तुरंत कार्रवाई होगी। 

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

भ्रष्टाचार पर सीधा निलंबन

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कमिश्नर गौड़ ने भ्रष्टाचार को पुलिस व्यवस्था की सबसे बड़ी बीमारी करार दिया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, भ्रष्टाचार की शिकायत मिलते ही जांच नहीं, सीधे निलंबन होगा। चाहे वह थाना प्रभारी हो या कोई और यह ऐलान गाजियाबाद पुलिस के लिए एक चेतावनी है, जहां पिछले कुछ समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें सुर्खियां बनती रही हैं। गोड का यह कड़ा रुख न केवल पुलिसकर्मियों के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी एक उम्मीद की किरण है। 

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कौन हैं जे० रविंदर गौड़? 

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तेलंगाना के रहने वाले जे० रविंदर गौड़ को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भरोसेमंद अधिकारी माना जाता है। गोरखपुर, मेरठ, लखनऊ, मुरादाबाद और आगरा जैसे महत्वपूर्ण शहरों में उनकी तैनाती रही है। आगरा में पुलिस कमिश्नर के तौर पर उनके कार्यकाल की खूब चर्चा हुई, जहां उन्होंने जगदीशपुरा कांड में निष्पक्ष जांच करवाकर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। थानों को आईएसओ सर्टिफाइड बनाने से लेकर साक्ष्य आधारित जांच प्रणाली लागू करने तक पुलिसिंग को एक नया आयाम दिया। 

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