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Good Work -गाजियाबाद पुलिस की अनोखी पहल, 425 फोन लौटाए, 1 करोड़ की राहत!

गाजियाबाद की गलियों में एक नया राग गूंज रहा है नहीं, ये कोई त्योहार का शोर नहीं, बल्कि खोए हुए मोबाइल फोनों की घर वापसी का जश्न है! गाजियाबाद नगर जोन पुलिस ने कुछ ऐसा कमाल किया है, जो न सिर्फ सुर्खियां बटोर रहा है।

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Kapil Mehra
फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

गाजियाबाद पुलिस ने बरामद करें एक करोड रुपए के फोन

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

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गाजियाबाद की गलियों में एक नया राग गूंज रहा है नहीं, ये कोई त्योहार का शोर नहीं, बल्कि खोए हुए मोबाइल फोनों की घर वापसी का जश्न है! गाजियाबाद नगर जोन पुलिस ने कुछ ऐसा कमाल किया है, जो न सिर्फ सुर्खियां बटोर रहा है, बल्कि लोगों के चेहरों पर मुस्कान भी ला रहा है। सीईआईआर (सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर) पोर्टल के सहारे पुलिस ने चोरी, स्नैचिंग और खोए हुए 425 मोबाइल फोनों को बरामद कर उनके असली मालिकों तक पहुंचाया है।

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इन फोनों की कीमत? लगभग 1 करोड़ रुपये!  

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तकनीक और मेहनत का गजब संगम

ये कोई जादू नहीं, बल्कि तकनीक और मेहनत का शानदार मेल है। गाजियाबाद पुलिस की सर्विलांस टीम ने सीईआईआर पोर्टल को अपना हथियार बनाया। मोबाइल चोरी या गुम होने की शिकायतें मिलते ही टीम ने तकनीकी साक्ष्यों का गहन विश्लेषण शुरू किया। फोन के आईएमईआई नंबर को ट्रैक कर, मैनुअल इनपुट और सर्विलांस की मदद से हर फोन की लोकेशन तलाशी गई। ये काम आसान नहीं था—हर फोन के पीछे घंटों की मेहनत, डेटा एनालिसिस और सटीक रणनीति थी।

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

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थानों का शानदार स्कोर कार्ड 

गाजियाबाद के सात थानों ने इस मिशन में अपनी ताकत दिखाई। आइए, नजर डालते हैं उनके "हिट स्कोर" पर:

थाना कोतवाली नगर: 137 

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थाना सिहानीगेट: 64 

थाना नंदग्राम: 63

थाना विजयनगर: 55

थाना कविनगर: 52 

थाना मधुबन बापुधाम: 42

थाना साइबर: 12 

कुल मिलाकर, 425 मोबाइल फोन हर एक की अपनी कहानी, हर एक की अपनी वापसी। 

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मालिकों के चेहरों पर लौटी रौनक

जरा सोचिए, जिस फोन को आपने खोया समझ लिया था, वो अचानक आपके हाथ में वापस आ जाए कैसा लगेगा? गाजियाबाद पुलिस ने ये खुशी सैकड़ों लोगों तक पहुंचाई। बरामद फोनों की पहचान कर, उन्हें उनके असली मालिकों को सौंपा गया। कोई अपने बिछड़े फोन को देखकर भावुक हुआ, तो कोई पुलिस की तारीफ करते नहीं थका। ये फोन सिर्फ गैजेट्स नहीं थे किसी की यादें, किसी का बिजनेस, किसी की जिंदगी का हिस्सा थे। 

फोटो जर्नलिस्ट सुनील कुमार

क्यों है ये हटके?

सीईआईआर का जादू

भारत सरकार का ये पोर्टल चोरी और खोए फोनों को ट्रैक करने का सुपरहिट टूल बन चुका है। गाजियाबाद पुलिस ने इसे बखूबी इस्तेमाल किया। 

टीमवर्क का कमाल

सर्विलांस मैनुअल इनपुट और थानों की एकजुटता ने दिखाया कि सही दिशा में मेहनत हो तो नतीजे चौंकाने वाले होते हैं। 

लोगों का भरोसा

इस पहल ने न सिर्फ फोन लौटाए, बल्कि पुलिस पर लोगों का विश्वास भी बढ़ाया।

एक नई शुरुआत

गाजियाबाद पुलिस का ये ऑपरेशन सिर्फ मोबाइल बरामदगी तक सीमित नहीं है। ये एक मिसाल है कि तकनीक और इंसानियत मिलकर क्या कर सकती है। 1 करोड़ की कीमत सिर्फ मोबाइल की नहीं, बल्कि उस खुशी की भी है, जो 425 लोगों के घर लौटी। तो अगली बार अगर आपका फोन खो जाए, तो हिम्मत मत हारिए गाजियाबाद पुलिस और सीईआईआर जैसे सिस्टम आपके साथ हैं! 

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