गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में गर्मी अपने चरम पर है, और इसके साथ ही विद्युत विभाग की लापरवाही ने आम उपभोक्ताओं का जीना मुहाल कर दिया है। सूरज की तपिश से पहले ही लोग त्रस्त हैं, ऊपर से बार-बार होने वाले पावर कट ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। पुराने शहर में दिनभर में 4 घंटे से ज्यादा और देहाती इलाकों में 16 घंटे तक की बिजली कटौती ने बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशान किया है। ट्रांसफार्मरों में आग लगने और ओवरलोड की समस्या ने हालात को और बदतर बना दिया है। सवाल यह है कि क्या इस समस्या का कोई स्थायी समाधान निकलेगा, या गाजियाबादवासी हर गर्मी में यूं ही बिजली के लिए तरसते रहेंगे?
गर्मी में बिजली कटौती की मार
गाजियाबाद में मई की चिलचिलाती गर्मी ने लोगों का हाल-बेहाल कर रखा है। तापमान 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर रहा है, और ऐसे में बिजली की अनियमित आपूर्ति ने लोगों की नींद और चैन छीन लिया है। पुराने शहर के इलाकों, जैसे कविनगर, राजेंद्र नगर और शास्त्री नगर में, दिन में 4 से 6 घंटे तक बिजली गुल रहती है।
देहात का है बुरा हाल
देहाती क्षेत्रों जैसे लोनी, मुरादनगर और मोदीनगर में स्थिति और भी खराब है, जहां 12 से 16 घंटे तक पावर कट आम बात हो गई है।रात में बिजली न होने से लोग गर्मी में तड़प रहे हैं। पंखे और कूलर बंद होने से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा दिक्कत हो रही है। गर्भवती महिलाएं भी इस असहनीय गर्मी में परेशान हैं। राजेंद्र नगर की रहने वाली संगीता (बदला हुआ नाम) जो सात महीने की गर्भवती हैं, कहती हैं, रात में बिजली चली जाती है, और गर्मी में नींद ही नहीं आती। बच्चे भी रोते रहते हैं। विद्युत विभाग को शिकायत करने पर सिर्फ आश्वासन मिलता है।
ट्रांसफार्मर में आग, ओवरलोड की समस्या
बिजली कटौती की सबसे बड़ी वजह है बढ़ता ओवरलोड और पुराने ट्रांसफार्मरों की खराब हालत। गर्मी में एयर कंडीशनर, कूलर और पंखों का उपयोग बढ़ने से बिजली की खपत कई गुना हो गई है। पुराने ट्रांसफार्मर इस लोड को झेल नहीं पा रहे, जिसके चलते उनमें बार-बार आग लग रही है। पिछले हफ्ते ही कविनगर में एक ट्रांसफार्मर में आग लगने से 10 घंटे तक बिजली आपूर्ति ठप रही।लोनी के एक निवासी रमेश कुमार ने बताया, ट्रांसफार्मर में आग लगने की खबर अब रोज की बात हो गई है। विद्युत विभाग को पहले से पता है कि गर्मी में लोड बढ़ेगा, फिर भी कोई तैयारी नहीं की जाती। हर बार बस यही कहते हैं कि जल्दी ठीक कर देंगे, लेकिन हालात जस के तस हैं।
बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित
लंबे समय तक बिजली कटौती का सबसे बुरा असर बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर पड़ रहा है। बच्चे गर्मी में रातभर जाग रहे हैं, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है।
बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत और चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएं हो रही हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है, क्योंकि गर्मी में डिहाइड्रेशन और थकान का खतरा बढ़ जाता है।शास्त्री नगर की रहने वाली 70 वर्षीय शांति देवी कहती हैं, इस उम्र में इतनी गर्मी में बिना पंखे के रात काटना बहुत मुश्किल है। बिजली विभाग वाले कहते हैं कि लाइन ठीक कर रहे हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं दिखता
क्या है विद्युत विभाग का पक्ष?
विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बढ़ती बिजली की मांग और पुरानी बुनियादी ढांचे की वजह से यह समस्या पैदा हो रही है। एक अधिकारी ने बताया, हम ट्रांसफार्मरों को अपग्रेड करने और नई लाइनों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह काम समय लेता है। गर्मी में ओवरलोड की वजह से कुछ इलाकों में कटौती करनी पड़ रही है।हालांकि, जनता को ये जवाब सिर्फ बहाने लगते हैं। लोगों का कहना है कि हर साल गर्मी शुरू होने से पहले विभाग को पहले से तैयारी करनी चाहिए, लेकिन हर बार वही ढाक के तीन पात।
क्या है समाधान?
इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की जरूरत है:
ट्रांसफार्मरों का उन्नयन:
पुराने और कम क्षमता वाले ट्रांसफार्मरों को तुरंत बदला जाए।
नई बिजली लाइनें:
ओवरलोड कम करने के लिए नए बिजली फीडर और सब-स्टेशन स्थापित किए जाएं।
नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग:
सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों को बढ़ावा देकर बिजली की मांग को कम किया जा सकता है।
पहले से तैयारी:
गर्मी शुरू होने से पहले विभाग को मरम्मत और रखरखाव का काम पूरा करना चाहिए।
जागरूकता और सहयोग:
उपभोक्ताओं को भी बिजली का समझदारी से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।
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