नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
अल्जाइमर के उपचार में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। अब एनेस्थीसिया से अल्जा़इमर का इलाज किया जा सकेगा। अभी अल्जाइमर के इलाज के लिए एमिलॉइड प्लेक और टाउ टेंगल्स जैसे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। शोधकर्ताओं की इस इस नई खोज से अल्जाइमर के रोगियों में नई उम्मीद जगी है। एनेस्थीसिया के लिए जीनॉन गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इससे अब अल्जाइमर रोग का इलाज भी संभव हो सकेगा। हाल ही में मास जनरल ब्रिघम और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए गए एक अध्ययन में इसका दावा किया है। अध्ययन में पाया गया कि जीनॉन गैस न्यूरो सिस्टम की सूजन कम करने में सहायक हो सकती है। ये दिमाग को मजबूती प्रदान करती है। प्रमुख शोधकर्ता ओलेग बुटोव्स्की ने कहा कि ‘ चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में यह एक नई खोज है। इसको सिर्फ सांस के माध्यम से अंदर लेने पर यह दिमाग के न्यूरो सिस्टम को दुरुस्त कर देगी। प्रयोगशाला में किए परीक्षण में जीनॉन गैस ने अल्जाइमर के रोगियों पर सकारात्मक रूप से प्रभाव डाला।
क्या है अल्जाइमर
अल्जाइमर एक बढती हुई मानसिक बीमारी है जिससे याददाश्त में कमी और संज्ञानात्मक गिरावट होती है। यह डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है। पूरी दुनिया में यह बढ़ता हुआ न्यूरोलोजिकल डिसोर्डर है। इससे 65 साल की अधिक उम्र के व्यक्ति अधिक पीड़ित रहते हैं। अल्जाइमर का अभी तक कोई स्थाई इलाज नहीं खोजा गया है। हालांकि, कुछ दवाइयों के द्वारा इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। शोधकर्ता अल्जाइमर के कारणों का पता लगा रहे हैं। इस बीमारी से न्यूरो सेल्स के बीच कम्यूनिकेशन रुक जाता है। समय के साथ यह बीमारी बढ़ती जाती है और इससे मौत भी हो सकती है। एनेस्थीसिया का इस्तेमाल शरीर के किसी भाग को सुन्न करने के लिए किया जाता है। एनेस्थीसिया से जीनॉन गैस दिमाग में पहुंचकर खून के प्रवाह को बढ़ा देती है।
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