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पित्ती का आयुर्वेदिक समाधान: मौसम बदलते ही शीतपित्त से राहत के लिए करें ये उपाय

पित्ती या शीतपित्त एक आम एलर्जी है, जो अक्सर मौसम बदलने पर परेशान करती है। इसमें शरीर पर खुजलीदार लाल चकत्ते या दाने उभर आते हैं। आयुर्वेद में इस समस्या को वात और कफ दोष के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है और इसके प्रभावी समाधान मौजूद हैं।

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YBN News
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pitti Photograph: (ians)

नई दिल्ली। पित्ती या शीतपित्त एक आम एलर्जी है, जो अक्सर मौसम बदलने पर परेशान करती है। इसमें शरीर पर खुजलीदार लाल चकत्ते या दाने उभर आते हैं। आयुर्वेद में इस समस्या को वात और कफ दोष के असंतुलन से जोड़कर देखा जाता है और इसके प्रभावी समाधान मौजूद हैं।

एक आम एलर्जी

विशेषज्ञों के अनुसार, शीतपित्त में नीम का उपयोग बेहद लाभकारी है। नीम की पत्तियों को उबालकर उस पानी से स्नान करना और त्वचा पर नारियल तेल या एलोवेरा जेल लगाना राहत देता है। इसके अलावा, गिलोय, हल्दी और आंवला का नियमित सेवन शरीर के टॉक्सिन्स को दूर कर पित्ती को नियंत्रित करने में मदद करता है।

पित्ती होने के लक्षण

शरीर पर निशान बनने लगते हैं। ये पित्ती होने के लक्षण होते हैं। कई बार पित्ती कुछ घंटों में अपने आप चली जाती है, लेकिन कुछ लोगों को ये कई दिनों तक परेशान करती है। मौसम के बदलने पर किसी भी तरह की एलर्जी का होना आम बात है, लेकिन कुछ लोगों को मौसम बदलते ही शरीर पर लाल चकत्ते, खुजली और जलन महसूस होने लगती है।

शरीर में पित्त दोष का असंतुलन

आयुर्वेद में पित्ती से राहत पाने के लिए घरेलू समाधान बताए गए हैं, जो मरीज को काफी हद तक मदद पहुंचा सकते हैं। सामान्य भाषा में पित्ती और आयुर्वेद में इसे शीतपित्त कहा जाता है। आयुर्वेद में पित्ती होने के पीछे रक्त की अशुद्धि और शरीर में पित्त दोष का असंतुलन है। जब शरीर में दोनों चीजें बढ़ जाती हैं, तब मौसम बदलते समय या किसी खास परिस्थिति में पित्ती की समस्या परेशान कर सकती है, जैसे ठंडी हवा के संपर्क में आना, ज्यादा तैलीय या मसालेदार खाना खाना, या फिर किसी तरह की एलर्जी होना।

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पित्ती अगर कई दिनों तक परेशान करती है, तो डॉक्टरी भाषा में इसे क्रॉनिक कहते हैं। इस स्थिति में पूरा शरीर पित्ती से भर जाता है और खुजली और सूजन शरीर को परेशान करने लगती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टरी परामर्श से ही कंट्रोल पाया जा सकता है, लेकिन अगर किसी को पित्ती की परेशानी है, तो कुछ परहेज, आहार में सुधार और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सेवन से उसे कम किया जा सकता है।

घरेलू समाधान

पित्ती की शुरुआती परेशानी में राहत पाने के लिए हरिद्रा खंड, गुडूची घनवटी, नीम घनवटी और आंवला चूर्ण का सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श लेकर किया जा सकता है। ये जड़ी बूटियां पित्त को शांत करने में मदद करती हैं, एलर्जी की संभावना कम होती है, रक्त शुद्ध होता है और शरीर में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होने से सूजन में कमी होती है। ये सभी जड़ी बूटियां पित्ती से राहत देने में मदद करेंगी।

पित्ती से राहत देने में मदद

इसके साथ में ही पित्ती में गिलोय का जूस, नीम के पत्ते का पानी और हरे धनिए का पानी भी लाभकारी होता है। पित्ती की शिकायत होने पर आहार में परिवर्तन करना जरूरी है। पित्ती के समय ज्यादा ठंडा खाना या पीना न लें। दूध और दुग्ध उत्पाद से परहेज करें। मछली और अन्य मांसाहारी पदार्थ भी पित्ती में नुकसानदेह होते हैं। इसके अलावा, चीनी और मसालेदार, नमकीन, और खट्टे खाद्य पदार्थ भी न लें। ये सभी पदार्थ पित्ती को और बढ़ा सकते हैं।

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 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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