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BAKUCHI Photograph: (ians)
Health Tips:आयुर्वेद की प्राचीन औषधीय जड़ी-बूटियों में बाकुची, जिसे बावची या बकुची के नाम से भी जाना जाता है, अपने चमत्कारी गुणों के लिए मशहूर है। त्वचा रोगों, डैंड्रफ, कुष्ठ, और यहां तक कि गंभीर बीमारियों के उपचार में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
बहुमुखी औषधि बनाता
आयुर्वेद, सिद्ध, और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में बाकुची का विशेष स्थान है, जो इसे एक बहुमुखी औषधि बनाता है। भारत सरकार का आयुष मंत्रालय भी बाकुची के गुणों और उससे होने वाले लाभ से रूबरू कराता है। बाकुची के बीजों में मौजूद प्सोरालेन त्वचा रोगों के इलाज में कारगर है। यह यौगिक सूरज की रोशनी के साथ मिलकर मेलानिन उत्पादन को बढ़ाता है, जिससे विटिलिगो (सफेद दाग), सोरायसिस, एग्जिमा और खुजली में राहत मिलती है। बाकुची का तेल त्वचा पर लगाने से निखार आता है और संक्रमण कम होता है। डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए इसके बीजों के तेल को सिर में लगाया जाता है, जो प्रभावी है।
बाकुची को कफ-वात शामक औषधि माना
आयुर्वेद में बाकुची को कफ-वात शामक औषधि माना गया है। यह यकृत विकार, बवासीर, पेट के कीड़े, घाव, और मूत्र संबंधी समस्याओं में भी लाभकारी है। इसके एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हड्डियों और जोड़ों की सूजन कम करते हैं, जिससे गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसे रोगों में मदद मिलती है।
मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी
हाल के शोधों ने बाकुची के और भी फायदे उजागर किए हैं। इसके कुछ तत्व कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोक सकते हैं, जबकि यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में भी सहायक है, जो मधुमेह रोगियों के लिए उपयोगी हो सकता है। इसके अलावा, बाकुची प्रजनन क्षमता बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत करने में भी कारगर है।
हालांकि, बाकुची के अनेक फायदों के बावजूद, इसका उपयोग सावधानी से करना जरूरी है। अत्यधिक या बिना विशेषज्ञ सलाह के सेवन से फोटोसेंसिटिविटी (धूप में जलन) या त्वचा पर प्रतिक्रिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आयुर्वेदाचार्य या चिकित्सक की सलाह के बाद ही इसका उपयोग करना चाहिए।
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