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हमारे आस-पास बहुतसारे ऐसे पौधे होते हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन उनमें से कुछ औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं और हमारी सेहत के लिए वरदान साबित होते हैं। 'द्रोणपुष्पी' भी ऐसा ही एक पौधा है, जो अपनी सादगी और आसानी से मिलने वाले गुणों के कारण आयुर्वेद में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे गुमा के नाम से भी जाना जाता है। यह पूरा पौधा, चाहे वह पत्ते हों, फूल, जड़ या तना... हर हिस्सा किसी न किसी बीमारी के इलाज में उपयोगी होता है।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, द्रोणपुष्पी का वानस्पतिक नाम ल्यूकास एस्पेरा है। इस पूरे पौधे में ट्राइटरपेनोइड्स नामक तत्व होता है, जिनमें ओलेनोलीक एसिड, यर्सोलिक एसिड और बीटा-सिटोस्टेरोल शामिल हैं। इसके ऊपर वाले भागों में निकोटिन, स्टेरोल्स और कुछ नए अल्कालॉइड्स पाए गए हैं। साथ ही इसमें शर्करा जैसे गैलैक्टोज और ग्लूकोसाइड भी होते हैं।
बीजों में कई प्रकार के फैटी एसिड
पौधे के पत्तों में कई प्रकार के तैलीय और खुशबूदार पदार्थ होते हैं, जिनमें यू-फारनीसीन, एक्स-थुजीन और मेंथोल सबसे ज्यादा होते हैं। फूलों में भी ऐमिल प्रोपियोनेट और आइसोएमिल प्रोपियोनेट जैसे कुछ खास तत्व पाए जाते हैं। इसके बीजों में कई प्रकार के फैटी एसिड होते हैं, जैसे पाल्मिटिक एसिड, स्टीयरिक एसिड, ओलेइक एसिड और लिनोलेइक एसिड। बीजों के तेल में बीटा-सिटोस्टेरोल और सेरिल अल्कोहल भी होते हैं।
द्रोणपुष्पी को औषधीय गुणों से भरपूर
पौधे के तनों और जड़ों में ल्यूकोलेक्टोन नामक तत्व होता है। ये सारे तत्व मिलकर द्रोणपुष्पी को औषधीय गुणों से भरपूर बनाते हैं। इस पौधे में एंटीमाइक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट और कई अन्य औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसका इस्तेमाल दवाइयों के रूप में भी होता है। यह पौधा बुखार में बहुत फायदेमंद होता है। चाहे सामान्य बुखार हो, मलेरिया, टाइफाइड, या किसी भी तरह की समस्या हो, द्रोणपुष्पी का काढ़ा पीने से बुखार जल्दी कम हो जाता है। इसके पत्तों का रस निकालकर शरीर पर लगाने से भी ठंडक मिलती है और जलन कम होती है।
पेट की समस्याओं में भी यह बहुत मददगार
पेट की समस्याओं में भी यह बहुत मददगार है। अगर आपको अपच, गैस, पेट फूलना या दस्त जैसी तकलीफें हों तो द्रोणपुष्पी की सब्जी खाने से या काढ़ा बनाकर पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और भूख भी बढ़ती है। गठिया और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों के लिए भी द्रोणपुष्पी राहत लेकर आता है। इसके काढ़े का सेवन करने या पत्तों का लेप करने से सूजन कम होती है और दर्द में आराम मिलता है।
घाव या अन्य संक्रमणों में लगाएं लेप
त्वचा से जुड़ी बीमारियों जैसे दाद, खुजली, घाव या अन्य संक्रमणों में भी इसके पत्तों का रस या लेप लगाने से फायदा होता है, क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं। सांस की बीमारियों में भी द्रोणपुष्पी की भूमिका अहम है। खांसी, सर्दी और श्वास से जुड़ी समस्याओं में इसके काढ़े या रस को अदरक और शहद के साथ मिलाकर पीने से बहुत आराम मिलता है। यहां तक कि इसके फूलों और काले धतूरे के फूलों को धूम्रपान करने से भी श्वास की तकलीफों में लाभ होता है।
पीलिया और लिवर की बीमारियों में द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण पिप्पली के साथ मिलाकर लेने से लिवर ठीक होता है और पीलिया की परेशानी कम होती है। इसके पत्तों का रस आंखों में डालने या काजल की तरह लगाने से भी आंखों की बीमारियां ठीक होती हैं। नींद न आने की समस्या में इसके बीजों का काढ़ा पीना फायदेमंद है।
मधुमेह और मिर्गी जैसी बीमारियों में भी मददगार
इसके अलावा, द्रोणपुष्पी अनिमिया, मधुमेह और मिर्गी जैसी बीमारियों में भी मदद करता है। यह शरीर को अंदर से साफ करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। द्रोणपुष्पी लेने के यूं तो कई तरीके हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि इसे बिना आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के न लें, क्योंकि कभी-कभी इसकी ज्यादा मात्रा से पेट में जलन या एलर्जी हो सकती है। खासकर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका उपयोग सावधानी से करना चाहिए। : get healthy | get healthy body | Health and Fitness | Health Advice | Health Awareness not present in content