Advertisment

Health: बदायूं में ‘डायरिया से डर नहीं’ कार्यक्रम का शुभारम्भ, सुरक्षित होंगे बच्चे

स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केन्व्यू के सहयोग से जनपद में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है।

author-image
Dhiraj Dhillon
Health

Health

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00
स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में पापुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल-इंडिया (पीएसआई-इंडिया) और केन्व्यू के सहयोग से जनपद में “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया है। दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्रा ने अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि शून्य से पांच साल तक के बच्चों को डायरिया से सुरक्षित बनाना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकता में शामिल है, क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चों की होने वाली कुल मौत का एक प्रमुख कारण डायरिया भी है। 
Advertisment

पांच वर्ष तक के बच्चे होंगे सुरक्षित

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रामेश्वर मिश्रा ने कहा कि  डायरिया को नियंत्रित करने में ओआरएस अमृत के समान है, बस जरूरत है कि उसे सही मात्रा में  और समय से बच्चे को दिया जाये। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस पर नियन्त्रण के लिए समय-समय पर चलने वाले दस्तक अभियान के तहत घर-घर जाकर समुदाय को जागरूक किया जाता है। “डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम से इसको और बल मिलेगा। 
Advertisment
Health
Health
Advertisment

डायरिया के प्रति जागरूकता जरूरी

सीएमओ डा. रामेश्वर मिश्रा ने कहा कि शहरी क्षेत्रों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी डायरिया के प्रति जागरूकता लानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि फील्ड विजिट पर जो संस्थाएं स्वास्थ्य इकाइयों पर जाती हैं तो उनकी भी जिम्मेदारी है कि वह निगाह रखें कि वहां ओआरएस व जिंक की उपलब्धता है कि नहीं और किसी तरह की दिक्कत है तो सूचित जरूर करें।

कार्यक्रम के बारे में दी गई जानकारी

“डायरिया से डर नहीं” कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताते हुए पीएसआई-इंडिया के सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अनिल द्विवेदी ने बताया कि कार्यक्रम के तहत आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम और महिला आरोग्य समितियों के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें डायरिया की सही पहचान और बचाव के बारे में बताया जाएगा। ओआरएस की महत्ता समझाई जाएगी। इसके अलावा मीडिया के हर प्लेटफार्म का इस्तेमाल करते हुए डायरिया के लक्षण, कारण और नियन्त्रण सम्बन्धी जरूरी सन्देश जन-जन में प्रसारित किया जाएगा। सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) सामग्री अस्पतालों के प्रमुख स्थलों पर प्रदर्शित की जाएगी। 
Health
Health

फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी ट्रेनिंग

फ्रंटलाइन वर्कर को काउंसिलिंग के प्रमुख बिन्दुओं और शीघ्र स्तनपान और छह माह तक सिर्फ स्तनपान के फायदे के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी। हैण्डवाशिंग की सही विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों और खंड विकास कार्यालयों को दीवार लेखन के माध्यम से आच्छादित किया जायेगा और जन-जन तक डायरिया से बचाव के प्रमुख सन्देश पहुंचाए जायेंगे। डायरिया चैम्पियन भी चयनित किए जाएंगे। 

ये विभाग भी जोड़े जाएंगे

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार (आईसीडीएस) और शिक्षा विभाग के साथ ही अन्य विभागों को भी कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। निजी क्षेत्र के चिकित्सकों और अस्पतालों को भी कार्यक्रम से जोड़कर ओआरएस कार्नर स्थापित करने और डायरिया के केस की रिपोर्टिंग करने के लिए प्रेरित किया जायेगा। डायरिया से डर नहीं कार्यक्रम उत्तर प्रदेश के सात जिलों बदायूं, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, मथुरा, उन्नाव, गोंडा और श्रावस्ती के साथ बिहार के तीन जिलों सुपौल, पूर्णिया और दरभंगा में पीएसआई इंडिया और केन्व्यू के सहयोग से चलाया जायेगा।

डीआईओ ने बताई ओआरएस की महत्ता

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ. मोहम्मद असलम ने कहा कि यदि डायरिया की शुरुआत में ही पहचान कर सही मात्रा में ओआरएस दिया जाए तो गंभीर स्थिति तक पहुँचने से बच्चे को बचाया जा सकता है। गंभीर स्थिति में समय पर बच्चे को अस्पताल ले जाया जाए तो उसको जोखिम से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में तो अब लिक्विड के रूप में निर्मित ओआरएस का घोल भी उपलब्ध है। उन्होंने रोटा वायरस वैक्सीन के बारे में भी जानकारी दी। 

डायरिया को ऐसे पहचानें

प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य के नोडल अधिकारी डॉ. सनोज मिश्रा ने कहा कि 24 घंटे में यदि तीन बार पतली दस्त आ रही है तो यह डायरिया के लक्षण हो सकते हैं और यह लम्बे समय तक बनी रहे तो यह गंभीर डायरिया का रूप ले सकती है। 

फ्रंटलाइन वर्कर्स का संवेदीकरण जरूरी 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की डॉ. पल्वीन कौर ने कहा कि फ्रंटलाइन वर्कर को समय-समय पर संवेदीकृत करने से निश्चित रूप से डायरिया के लक्षण और बचाव से जुड़े जरूरी संदेशों को समुदाय तक पहुँचाया जा सकता है। डायरिया के मामलों की रिपोर्टिंग पर भी बल दिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के जिला अध्यक्ष डॉ. इत्तेहाद आलम ने कहा कि डायरिया के अधिकतर केस निजी क्षेत्रों में जाते हैं, इसलिए उनको संवेदीकृत करने से डायरिया के नियंत्रण में सफलता मिलेगी।  

इन लोगों की रही मौजूदगी

इस मौके पर राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. श्रीमोहन झा, डिविजनल अर्बन हेल्थ कोऑर्डिनेटर डॉ. गंगा सरन, डिविजनल कार्यक्रम प्रबंधक मो. शाहिद हुसैन, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक कमलेश शर्मा, डिस्ट्रिक्ट कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर (डीसीपीएम) अरविन्द राना, आईसीडीएस और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि के साथ विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीएसआई इंडिया से सुभ्रीत खरे, अजय कुमार, राजेश कुमार, चिकित्सा अधिकारी और स्टाफ नर्स आदि उपस्थित रहीं।
Advertisment
Advertisment