नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
Health News : संयुक्त राष्ट्र (UN) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत की बाल मृत्यु दर में आई भारी गिरावट की सराहना की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने अपनी HEALTH प्रणाली में किए गए रणनीतिक निवेश के माध्यम से लाखों बच्चों की जान बचाई है। यह उपलब्धि न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट
बाल मृत्यु दर में 70% की कमी: संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 के बाद से भारत में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर में 70% की कमी आई है। इसी अवधि में, नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में भी 61% की सराहनीय गिरावट दर्ज की गई है। यह कमी स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार, बेहतर उपचार और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के कारण संभव हुई है।
आयुष्मान भारत योजना का महत्वपूर्ण योगदान: रिपोर्ट में आयुष्मान भारत योजना को एक गेम-चेंजर के रूप में वर्णित किया गया है। यह योजना, जो विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक है, प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष लगभग 5,500 अमेरिकी डॉलर का कवरेज प्रदान करती है। इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं को मुफ्त प्रसव (सी-सेक्शन सहित) और बच्चों के लिए मुफ्त इलाज, दवाएं और पोषण सहायता मिलती है।
स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे में सुधार: भारत ने प्रसूति गृहों, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य केंद्रों और नवजात शिशु देखभाल इकाइयों की स्थापना करके स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत किया है। प्रशिक्षित दाइयों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की तैनाती ने भी मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया है।
टीकाकरण में महत्वपूर्ण प्रगति: भारत ने खसरे के टीकाकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जिससे खसरे से होने वाली शिशु मृत्यु दर में भारी कमी आई है।
वैश्विक परिदृश्य: रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई विकासशील देशों ने बाल मृत्यु दर में वैश्विक गिरावट से बेहतर प्रदर्शन किया है।
भारत की सफलता के प्रमुख कारण
मजबूत सरकारी नीतियां और राजनीतिक इच्छाशक्ति: भारत सरकार ने बाल स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है और इसके लिए कई प्रभावी नीतियां लागू की हैं। राजनीतिक इच्छाशक्ति ने इन नीतियों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित किया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर निवेश: भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों में लगातार निवेश किया है।
इससे स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता और गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य रणनीतियों का क्रियान्वयन: भारत ने वैज्ञानिक साक्ष्यों पर आधारित स्वास्थ्य रणनीतियों को अपनाया है।
इससे प्रभावी हस्तक्षेपों को लागू करने और संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद मिली है।
समुदाय-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान: भारत ने समुदाय-आधारित स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा दिया है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं दूरदराज के क्षेत्रों तक भी पहुंची हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
तकनीकी विकास और डेटा निगरानी: भारत ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संकेतकों की डेटा प्रणालियों और डिजिटल निगरानी में निरंतर सुधार किया है। जिससे समय पर आवश्यक कदम उठाने में मदद मिली है।
टीकाकरण कार्यक्रम: भारत के टीकाकरण कार्यक्रम ने भी बाल मृत्यु दर में कमी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। टीकाकरण से कई जानलेवा बीमारियों से बच्चों को बचाया गया है।
अन्य देशों के लिए एक मिसाल
संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट दर्शाती है कि सही नीतियों और निवेश के माध्यम से बाल मृत्यु दर को कम किया जा सकता है, और लाखों बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। भारत की सफलता अन्य देशों के लिए एक मिसाल है, जो अपने बाल स्वास्थ्य संकेतकों में सुधार करना चाहते हैं।
भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं
हालांकि भारत ने बाल मृत्यु दर में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बाकी हैं। कुपोषण, नवजात शिशुओं की देखभाल और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच जैसी समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है।
भारत सरकार और अन्य हितधारकों को इन चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर काम करना होगा। तकनीकी विकास, सामुदायिक भागीदारी और निरंतर निवेश के माध्यम से, भारत बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में और भी महत्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत सरकार और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के प्रयासों से लाखों बच्चों के जीवन को बचाया जा सकता है। भारत की सफलता वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के लिए भी एक प्रेरणा है।