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आज की व्यस्त जीवनशैली, अनियमित खानपान और तनाव का हमारे शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है, खासकर हार्मोनल संतुलन पर। हार्मोन शरीर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है।
हार्मोनल असंतुलन के मुख्य कारण
असंतुलित आहार – प्रोसेस्ड फूड, अधिक चीनी और जंक फूड का सेवन हार्मोनल गड़बड़ी का प्रमुख कारण हो सकता है।
तनाव और अनिद्रा – अधिक तनाव कोर्टिसोल हार्मोन को प्रभावित करता है, जिससे थकान, चिड़चिड़ापन और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
शारीरिक निष्क्रियता – नियमित व्यायाम न करने से इंसुलिन, थायरॉइड और अन्य हार्मोनों का असंतुलन हो सकता है।
रसायनों का प्रभाव – प्लास्टिक से बने बर्तनों, प्रदूषण और केमिकल युक्त सौंदर्य उत्पादों का अत्यधिक उपयोग हार्मोनल असंतुलन को बढ़ा सकता है।
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ये हैं संकेत
लगातार थकान – पर्याप्त नींद लेने के बाद भी थकावट बनी रहती है।
वजन बढ़ना या घटना – बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन में अचानक बदलाव आना।
मूड स्विंग और अवसाद – अचानक चिड़चिड़ापन, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याएं।
त्वचा की समस्याएं – मुंहासे, ड्राई स्किन या अत्यधिक तेलीय त्वचा।
पाचन संबंधी दिक्कतें – एसिडिटी, कब्ज या डायरिया जैसी समस्याएं।
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हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के तरीके
हरी सब्जियां, फल, प्रोटीन और हेल्दी फैट का सेवन करें।मेडिटेशन, योग और गहरी सांस लेने की तकनीकों का अभ्यास करें। रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूरी है। प्लास्टिक के बर्तनों की जगह स्टील या कांच के बर्तन इस्तेमाल करें। रोजाना 7-8 घंटे की गहरी नींद लें।
हार्मोनल असंतुलन केवल महिलाओं ही नहीं, बल्कि पुरुषों और बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। यह थायरॉइड, मधुमेह, पीसीओएस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। सही जीवनशैली अपनाकर और अपने खानपान में सुधार लाकर इसे रोका जा सकता है।
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