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Improve Oral Health: ये योगासन दांतों की सड़न और मसूड़े को रखेगा स्वस्थ

योग न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य में भी मददगार है। कपालभाति, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम जैसे योगासन रक्त संचार को बढ़ाकर मुंह की नसों को सक्रिय करते हैं। मसूड़ों की सूजन, दर्द, बदबू जैसी समस्याएं कम होती हैं।

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YBN News
OralHealthnews

OralHealthnews Photograph: (ians)

नई दिल्ली। योग न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि दांतों और मसूड़ों के स्वास्थ्य में भी मददगार है। विशेषज्ञों के अनुसार, कपालभाति, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम जैसे योगासन रक्त संचार को बढ़ाकर मुंह की नसों को सक्रिय करते हैं। इससे मसूड़ों की सूजन, दर्द और बदबू जैसी समस्याएं कम होती हैं। नियमित प्राणायाम करने से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है, जो ओरल हेल्थ को सुधारती है। साथ ही, योग तनाव को कम कर दांतों की पीसने की आदत (ब्रुक्सिज्म) से भी राहत देता है। रोजाना 15-20 मिनट का योग स्वस्थ मुस्कान के लिए लाभकारी है।

ओरल हेल्थ सुधर 

आयुष मंत्रालय के अनुसार, दांतों और मसूड़ों की देखभाल के लिए योगासन और प्राणायाम भी बहुत प्रभावी साबित होते हैं। योग से दांतों की समस्याओं में आराम मिलता है। साथ ही यह पूरी ओरल हाइजीन बनाए रखने में मदद करता है। खासकर शीतकारी, शीतली, वात नाशक मुद्रा, सर्वांगासन और अपान मुद्रा जैसे योगासन दांतों की देखभाल के लिए बेहद फायदेमंद माने गए हैं। दांतों की सेहत हमारे पूरे शरीर के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। दांतों की समस्याएं जैसे मसूड़ों में सूजन, दांत सड़ना, पायरिया आदि न केवल असुविधाजनक होती हैं, बल्कि ये हमारे शरीर में संक्रमण फैलाने का कारण भी बन सकती हैं। 

सर्वांगासन

इससे रक्त संचार सुधरता है, जो दांतों और मसूड़ों को पोषण देने में मदद करता है। सर्वांगासन भी दांतों की समस्याओं से बचाव के लिए बहुत लाभकारी है। यह आसन मुंह में बैक्टीरिया के बढ़ने से होने वाली दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद करता है। सर्वांगासन करते समय शरीर को कमर के बल लेटकर पैरों को ऊपर उठाना होता है, फिर धीरे-धीरे कूल्हे और कमर को भी ऊपर उठाकर शरीर का भार कंधों पर डालना होता है। हाथों से पीठ का सहारा लेकर इस स्थिति को संभालना होता है। शुरुआत में कुछ सेकंड के लिए यह आसन करना चाहिए और धीरे-धीरे समय बढ़ाना चाहिए। 

शीतकारी प्राणायाम

शीतकारी प्राणायाम एक ऐसा योग है जो दांतों की सड़न को कम करने में सहायक होता है। जब हम शीतकारी प्राणायाम करते हैं, तो यह मुंह के अंदर की गर्माहट को कम करता है और मसूड़ों की सूजन को घटाता है। इस प्राणायाम में आपको आरामदायक स्थिति में बैठकर, होंठों को खोलकर सांस अंदर लेते हुए 'सी-सी' की आवाज निकालनी होती है और धीरे-धीरे नाक से सांस छोड़नी होती है। इसे 10 से 12 बार दोहराना चाहिए। इस प्रक्रिया से मुंह के अंदर ठंडी हवा जाती है, जिससे मसूड़े मजबूत होते हैं और दांतों की सेहत सुधरती है। नियमित अभ्यास से दांतों की सड़न की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है।

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वात नाशक मुद्रा

यह मुद्रा दांतों के आसपास के रक्त प्रवाह को बेहतर बनाकर उनकी मजबूती बढ़ाती है। दांतों से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए वात नाशक मुद्रा भी अत्यंत उपयोगी है। यह मुद्रा शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है, जिससे दांतों और मसूड़ों की सेहत में सुधार होता है। वात नाशक मुद्रा करने के लिए तर्जनी और बीच की उंगली को मोड़कर हथेली से मिला लेना होता है और अंगूठे को बाकी उंगलियों के ऊपर हल्का सा रखना होता है। इस मुद्रा में आराम से बैठकर 10 से 15 मिनट तक बने रहना चाहिए। इस दौरान शरीर की थकान भी कम होती है और दांतों की समस्याओं में राहत मिलती है।

शीतली प्राणायाम

यह प्राणायाम मुंह के अंदर गर्मी को कम कर फंगल इन्फेक्शन और मसूड़ों की सूजन को भी रोकता है। शीतली प्राणायाम दांतों के लिए एक ठंडक देने वाला योग है, जो शरीर को अंदर से ठंडा करता है और दांतों की देखभाल में मदद करता है। इस प्राणायाम में जमीन पर सुखासन की मुद्रा में बैठकर जीभ को बाहर निकालना होता है। फिर जीभ के किनारों को ऊपर की ओर मोड़ते हुए मुंह से सांस लेना होता है और नाक से छोड़ना होता है। इसे दिन में 10 से 15 बार करने से मसूड़ों की सूजन में कमी आती है और दांत मजबूत बनते हैं।

 (इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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