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yoga Photograph: (ians)
नई दिल्ली। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर में कई बदलाव दिखाई देने लगते हैं। 30 की उम्र के बाद ये बदलाव और भी स्पष्ट हो जाते हैं। इस दौर में हड्डियों की मजबूती धीरे-धीरे कम होने लगती है और उनमें कैल्शियम की कमी महसूस होती है। मांसपेशियां पहले जैसी ताकतवर नहीं रहतीं, जिससे थकान और कमजोरी जल्दी महसूस होने लगती है।
शरीर में होने वाले बदलाव
वहीं, जीवनशैली की भागदौड़ और जिम्मेदारियों के कारण मानसिक तनाव बढ़ने की संभावना रहती है। अगर इस समय खानपान और दिनचर्या पर ध्यान न दिया जाए तो ये बदलाव भविष्य में बड़ी बीमारियों का रूप भी ले सकते हैं। कई लोगों को शरीर में जकड़न, अकड़न और लचीलापन कम होने जैसी समस्याएं भी घेरने लगती हैं। इसलिए 30 की उम्र के बाद संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। इससे शरीर और मन दोनों लंबे समय तक स्वस्थ रह सकते हैं।
शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत
ऐसे में अगर खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखना है, तो योग को अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना बहुत जरूरी है। योग केवल शरीर को लचीला और फिट ही नहीं बनाता, बल्कि मन को भी शांत करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है।
ताड़ासन
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस हालात में योग की शुरुआत ताड़ासन से की जानी चाहिए। 30 की उम्र के बाद जब शरीर की मांसपेशियां ढीली पड़ने लगती हैं, तो ताड़ासन उन्हें दोबारा सक्रिय करने का काम करता है। यह आसन जितना आसान दिखता है, उतना ही गहराई से शरीर पर असर करता है। ताड़ासन करने से शरीर का पोश्चर सुधरता है, रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है, और संतुलन बेहतर होता है। इसके अलावा, ये आसन पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग में मदद करता है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव आता है और लचीलापन बढ़ता है।
पश्चिमोत्तासन
मालूम हो कि 30 की उम्र के बाद जब पीठ में अकड़न या पैर जल्दी थकने लगते हैं, तब यह आसन उन हिस्सों को राहत देता है और लचीलापन बढ़ाता है। साथ ही यह मानसिक एकाग्रता को भी बेहतर करता है, जिससे तनाव कम होता है। पश्चिमोत्तासन एक बेहद कारगर योगासन है, जो आपकी पीठ, पैरों और पेट के लिए लाभदायक है। इस आसन में शरीर को आगे की ओर झुकाकर पैरों के पंजे पकड़ने की कोशिश की जाती है। यह योगाभ्यास रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है और हेमस्ट्रिंग्स की जकड़न को दूर करता है।
सेतुबंध सर्वांगासन
शरीर में आने वाले बड़े बदलाव और उनसे बचाव के लिए यह आसन आवश्यक है। सेतुबंध सर्वांगासन को ब्रिज पोज भी कहते हैं। यह खासकर पीठ और पेट के लिए लाभकारी है। यह आसन पीठ के बल लेटकर किया जाता है, जिसमें शरीर को ऊपर उठाकर एक सेतु की आकृति बनाई जाती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है, थायरॉयड ग्रंथियों को सक्रिय करता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
मलासन
30 की उम्र के बाद महिलाओं में हॉर्मोनल बदलाव भी होने लगते हैं। ऐसे में यह आसन न सिर्फ शरीर को संतुलन में लाता है बल्कि मानसिक तौर पर भी सुकून देता है। मालूम हो कि मलासन खासतौर पर महिलाओं के लिए बहुत लाभदायक होता है। मलासन करने से पेल्विक एरिया मजबूत होता है, हिप्स और थाइज की स्ट्रेंथ बढ़ती है, और कब्ज की समस्या में भी आराम मिलता है।
बालासन
इसके अलावा, बालासन शरीर और मन दोनों को आराम देता है। 30 पार करते ही बदलने लगता है हमारा शरीर हड्डियों से लेकर मानसिक स्वास्थ्य तक प्रभावित होने लगता है ऐसे मे ये उपाय बेहद कारगर साबित होंगे। बालासन योगाभ्यास तनाव को दूर करता है, पीठ के निचले हिस्से को राहत देता है और पूरे शरीर को रिलैक्स करने में मदद करता है। दिनभर की थकान शरीर पर हावी हो जाए या मन बेचैन हो, तो बालासन करने से तुरंत शांति मिलती है।
(इनपुट-आईएएनएस)
Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"