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बीमारियों को दावत: सेहत पर भारी बार-बार गर्म किया भोजन, बन सकता है धीमा ज़हर

बची हुई चीज़ों को बार-बार गर्म करके खाना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। बार-बार गर्म करने से भोजन के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और उसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही इस आदत को खतरनाक मानते हैं।

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YBN News
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foodpoisoning Photograph: (ians)

नई दिल्ली। आजकल बची हुई चीज़ों कोबार-बार गर्म करके खाना एक आम आदत बन गई है, लेकिन यह सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। बार-बार गर्म करने से भोजन के पोषक तत्व (विटामिन, मिनरल) नष्ट हो जाते हैं और उसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही इस आदत को खतरनाक मानते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे चावल, पालक और चिकन, दोबारा गर्म करने पर विषाक्त हो सकते हैं और फूड पॉइजनिंग या पाचन संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकते हैं।

यह आदत सौ बीमारियों को न्योता

मालूम हो कि आलस्य हो या बचे भोजन का मोह, बासी खाने को बार-बार गर्म कर उसका सेवन करने से लोग कतराते नहीं हैं। लेकिन, यही आदत सौ बीमारियों को न्योता देती है। आयुर्वेद ताजे पके भोजन को स्वास्थ्य के लिए उत्तम बताता है। पालक और चुकंदर में मौजूद नाइट्रेट्स दोबारा गर्म होने पर कार्सिनोजेनिक (कैंसर कारक) नाइट्राइट्स में बदल सकते हैं। इसलिए, विशेषज्ञों की सलाह है कि भोजन हमेशा ताज़ा ही खाएं और बासी खाने को दोबारा गर्म करने से बचें।

भारत सरकार का आयुष मंत्रालय लोगों को बार-बार गर्म किए गए भोजन से होने वाले गंभीर नुकसान के प्रति आगाह करने के साथ ताजे पके भोजन को ही अपनी थाली में शामिल करने की सलाह देता है।

सेहत की असली कुंजी

आयुर्वेद के अनुसार, ताजा पका हुआ भोजन ही सेहत की असली कुंजी है, जबकि एक ही खाना बार-बार गर्म करके खाने की आदत शरीर को धीरे-धीरे खोखला कर देती है। आयुर्वेद में इसे स्पष्ट रूप से 'अहितकर भोजन' कहा जाता है। ऐसा भोजन शरीर के तीनों दोषों वात, पित्त और कफ को असंतुलित कर देता है। वात दोष बढ़ने से व्यक्ति को बेचैनी, चिंता, जोड़ों में दर्द और अनिद्रा जैसी समस्याएं होने लगती हैं। पित्त दोष बिगड़ने पर एसिडिटी, गैस, मुंह में जलन, त्वचा पर चकत्ते और गुस्सा बढ़ता है। वहीं, कफ दोष के बढ़ने से आलस्य, भारीपन, मोटापा और सांस संबंधी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। लंबे समय तक इस तरह का भोजन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिटी भी लगातार कमजोर होने लगती है।

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सबसे बड़ी औषधि

आयुर्वेद के अनुसार, “ताजा और सात्विक भोजन ही सबसे बड़ी औषधि है।” जो भोजन एक बार पकाकर तुरंत खा लिया जाए, वही शरीर को पोषण देता है और रोगों से बचाता है। ऐसे में व्यक्ति को हर समय थकान, सुस्ती और कमजोरी महसूस होती है। छोटी-छोटी मौसमी बीमारियां भी आसानी से चपेट में ले लेती हैं। चिंता और मानसिक परेशानियां घेरे रहती हैं। खाना गर्म करने पर उसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैं और कुछ मामलों में हानिकारक यौगिक भी बनने लगते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं।

(इनपुट-आईएएनएस)

Disclaimer: इस लेख में प्रदान की गई जानकारी केवल सामान्य जागरूकता के लिए है। इसे किसी भी रूप में व्यावसायिक चिकित्सकीय परामर्श के विकल्प के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कोई भी नई स्वास्थ्य-संबंधी गतिविधि, व्यायाम, शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह जरूर लें।"

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